लैंड माफिया के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि उन्हें न तो किसी तरह के कानून का डर है और न ही भगवान का। शामलाट एवं सरकारी जमीनों को निगलने के बाद कई लैंड माफिया तो ऐसे हैं, जिन्होंने मिलीभगत करके कब्रिस्तान जैसे पवित्र स्थानों को निगलने में भी परहेज नहीं किया। और तो और होशियारपुर जैसी संत नगरी में ऐसे मामले सामने आने लगे हैं, यहां पर कुछेक लोगों ने कथित मिलीभगत करके कब्रिस्तान की जगह पर कुछ इस तरह से कब्जा कर लिया कि वहां पर बड़ी कमर्शियल इमारत बनाकर करोड़ों अंदर कर लिए तथा ऐसे करने में संबंधित विभाग के मौके के अधिकारियों ने भी उनकी खूब मदद की होगी, क्योंकि उनकी स्वीकृत्ति के बिना ऐसा करना संभव नहीं हो सकता।
लालाजी स्टैलर की चुटकी
हालांकि उन्होंने तय नियमों में से कुछ न कुछ लूज़पोल निकालकर ही ऐसा किया होगा, लेकिन कब्रिस्तान की जगह, ये सोचकर अपने आप में खुदा के दोषि के रुप में नजऱ आने लग जाता है। अब भाई रंग बिरंगे नोटों के बंडल तथा सिक्कों की खनक किसे अच्छी नहीं लगती। अब सिक्के अगर सोने या चांदी के हों तो सोने पे सुहागा। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार होशियारपुर के पास ही एक कब्रिस्तान की जगह थी। कुछ साल पहले वहां पर एक कमर्शियल इमारत बनी, जबकि कानून अनुसार अन्य खाली जगहों को तो लीज़ व किराये पर दिया जा सकता है, लेकिन कब्रिस्तान की जगह को उसी प्रकार रखना होता है तथा जितनी जगह में शवों को दफनाया जाए उसे छोडक़र बाकी में खेती आदि करके वहां पैदा होने वाले अनाज को गरीबों की सेवा में अर्पित करना होता है।
लेकिन लैंड माफिया के हौंसले तो देखिये कि उन्होंने कब्रिस्तान को भी नहीं छोड़ा। वहां ऐसे इमारत बनाई कि हमारे जैसे लोग वहां पर न केवल कार्यक्रम करवाते हैं बल्कि होने वाले कार्यक्रमों में शौक से जाते भी हैं तथा कब्रिस्तान जैसी पवित्र जगह पर खड़े होकर अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का स्वाद भी चखते हैं।
एक संस्था के प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दुख की बात है कि मौके के अधिकारियों ने लैंड माफिया के साथ मिलकर ऐसा किया और कब्रिस्तान की जमीन को कमर्शियल प्रयोग के लिए दे दिया। उनका कहना है कि वे इसके खिलाफ कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं ताकि कब्रिस्तान की जगह गरीबों के काम आ सके। उनका कहना है कि उन्हें नाम बताने में कोई आपत्ति नहीं हैं, लेकिन अगर पहले ही बता दिया जाए तो कोर्ट जाने से पहले ही दवाब आदि डालने के प्रयास किए जाते हैं और वे नहीं चाहते कि बात सार्वजनिक हो और उन्हें किसी तरह के दवाब का सामना करना पड़े। उन्हें अदालत पर भरोसा है और वे वहीं से इंसाफ लेंगे। वैसे एक बात तो है कि किसी गरीब का हक मारने एवं खाने वाले को तो भगवान भी माफ नहीं करते, लेकिन लैंड माफिया को तो सिर्फ अपनी तिजौरियां भरने के सिवाये कुछ नहीं सूझता।
क्या? कौन सा लैंड माफिया है और ये जगह कहां है? ये बताएंगे थोड़ा इंतजार करें, पहले संस्था को मानीनय अदालत में जाने दीजिए। इसके बाद सारा मामला आपके सामने लेकर हाजिऱ होंगे आपके अपने लालाजी स्टैलर। तब तक के लिए मुझे दें आज्ञा। जय राम जी की।