होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री नंद अन्नपूर्णा मंदिर एकता नगर में श्री राम नवमीं महोत्सव दौरान प्रवचन करते हुए साध्वी राधिका गुरु मां ने कहा कि यह हमारा परम सौभाग्य है कि भारत वर्ष की पावन भूमि पर हमारा जन्म हुआ है। यहां अनेक प्रकार के त्यौहार उत्सव ईश्वर का आशीर्वाद लेकर आते हैं। जिससे हम अपना जीवन धन्य बना सकते हैं, यह सनातन परंपरा है। जिससे हम व्रत नियम उपवास पूजा-अर्चना और यज्ञ आदि से बड़े-बड़े पापों से मुक्त हो सकते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। गुरु मां ने कहा कि यह समय महान फल प्रदान करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला चैत्र नवरात्रि का है।
इसमें विशेष रूप से मां भगवती की पूजा अर्चना उपासना यज्ञ आदि किए जाते हैं। यह जगत जननी मां है। जिनका हम कन्या के रूप में पूजन भी करते हैं। इस नवरात्र के समय में कुमारी कन्या का पूजन किया जाता है और जो 2 वर्ष की कन्या से 10 वर्ष तक की कन्या का पूजन का विधान है 2 वर्ष की जो कन्या है उसे कुमारी कहा जाता है 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है 6 वर्ष की कन्या कालिका कहलाती है 7 वर्ष की कन्या चंडिका कहलाती है 8 वर्ष की कन्या शांभवी है और 9 वर्ष की कन्या दुर्गा है और 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है इस तरह से 2 से 10 वर्ष तक की कुमारी कन्याओं का पूजन नवरात्रों में मां भगवती की कृपा को प्राप्त करने का विधान है और जो भक्तजन संपूर्ण नवरात्रि के व्रत का अनुष्ठान किसी कारण से नहीं कर पाते तो उन्हें अष्टमी तिथि पर विशेष तौर से पूजन करना चाहिए। क्योंकि, प्राचीन काल में दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करने के लिए महा भद्रकाली के साथ करोड़ों योगिनीया अष्टमी तिथि को ही प्रकट हुई थी।
इस नवरात्रि के अनुष्ठान में यदि कोई नवरात्र उपवास करने में असमर्थ है तो उनके लिए 3 दिन का उपवास भी यथावत फल प्रदान करने वाला बताया गया है और भक्ति भाव से केवल सप्तमी अष्टमी और नवमी इन 3 रात्रि में भी देवी की पूजा करने से सभी फल सुलभ हो जाते है। इसलिए मनुष्य को इन 9 दिनों का पूर्ण लाभ लेना चाहिए और यथाशक्ति भगवती का पूजन कन्या पूजन व्रत दान जप तप आदि अवश्य करना चाहिए जब जब देवताओं पर संकट आया है उन्होंने मां भगवती का आवाहन किया मां भगवती ने प्रकट होकर के उनके कष्टों का निवारण किया भक्तों के जीवन में सुख शांति प्रदान की इसीलिए जो भी श्रद्धा से मां भगवती की पूजा आराधना करता है और संकट में उन्हें पुकारता है मां जगत जननी दया की महासागर है वह एक क्षण भी देर ना करके अपने भक्तों की रक्षा के लिए अपनी कृपा दृष्टि कर देती हैं इसीलिए परम सौभाग्य उन जीवो का है जो माता के श्री चरणों की भक्ति करके अपने जीवन को सार्थक करते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस मौके पर प्रधान रमेश अग्रवाल एवं महासचिव तरसेम मोदगिल ने सभी भक्तों का स्वागत करते हुए साध्वी जी का सम्मान किया।