भगवान तो भक्त से मिलने के लिए आतुर रहते हैं:पं. आलोक त्रिपाठी

जनौड़ी (द स्टेलर न्यूज न्यूज) रिपोर्ट: राकेश भार्गव। सिद्धेश्वर श्री बाबा श्रवण नाथ जी के पावन दरबार गांव जनौड़ी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस बाबा जी की ज्योति मुख्य मेहमान राजेश ठाकुर ने अपने जीवन संगिनी सुनीता ठाकुर,बेटी रिधिमा के साथ विधिवत प्रज्वलित की। जगद्गुर शंकराचार्य के कृपा पात्र शिष्य पंडित आलोक त्रिपाठी प्रयागराज बालों के व्यास पीठ पर आते ही सारा पंडाल जय जय राधा रमण हरि बोल की धुन से गूंज उठा। कथा व्यास ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि तक्षक नाग के डसने से जिसकी मृत्यु होने वाली है वह राजा परीक्षित हम सभी के कल्याण के लिए श्रीमद्भागवत का श्रवण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो आया है वह निश्चित ही जाएगा। पर जो मरने का डर है उससे निश्चय ही भागवत कथा सुनने से मुक्ति मिल जाएगी। कथा व्यास ने बताया कि साधक चार प्रकार के होते हैं।

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तूल कोटि का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे कपास (रुई) की खेती जितने मर्जी एकड़ में हो, एक ही माचिस की तीली उसे राख कर सकती है। इसी तरह गुरु ज्ञान रूपी चिंगारी ठीक से पड़ गई तो जितने मर्जी अवगुण, अहंकार हमारे अंदर हों, उसे नष्ट कर सकती है। तूस कोटि के साधक के अंदर जैसे तूड़ी की आग बुझती नहीं है, सुलगती रह जाती है, इसी तरह गुरु ज्ञान की चिंगारी सुलगती रहती है। और अज्ञान को नष्ट कर देती है। घृत कोटि के साधक संबंधी उन्होंने बताया कि जैसे घी पानी के ऊपर ही रहता है, इसी तरह विषय विकार भी अपना प्रभाव डाल नहीं सकते हैं। चौथे प्रकार के मधु कोटि के साधक, जैसे शहद जिस में भी डालो, वहीं अपना स्वाद देता है, इसी तरह मधु कोटि के साधक जहां भी जाते हैं, अपनी मधुरिमा चारों और बिखेर देते हैं। उन्होंने अजामिल की कथा सुनाते हुए कहा कि कैसे एक ही पुण्य के प्रभाव से उसने अपने बेटे का नाम नारायण रख दिया था। उसकी नारायण में आसक्ति बढ़ गई। प्रत्येक क्षण वह अपने बेटे नारायण को ही याद करता था। अंत समय में भी उसने जब अपने बेटे नारायण को याद किया, तो नारायण ने अपने दूतों को भेज दिया। यमराज के दूत भी उसे लेने आए। नारायण के दूतों ने यमराज के दूतों को भगा दिया।

तब इन्होंने जाकर यमराज से शिकायत की, तो यमराज ने भी यही कहा था कि जिसने अपना मस्तिष्क भगवान के आगे ना झुकाया हो, जिसके कानों ने हरि नाम ना सुना हो, जिसके पांव तीर्थ स्थान की और ना गए हों, जिसने अपने हाथों से कोई दया, धर्म ना किया हो, उसे ही घसीटते हुए यहां लाना है। श्री वामन अवतार, फिर श्री कृष्ण जन्म का दृश्य पूज्य बाबा अवतार नाथ जी चठियालीयां बालों की उपस्थिति से और भी भक्तिमय हो गया। विधिवत भगवान जी का बाबा जी द्वारा पूजन अर्चन किया गया।

इस मौके अन्य के अलावा केदारनाथ शर्मा, गौरव ऐरी, अनीता ऐरी, राकेश शर्मा, संजीव शर्मा, रजनीश शर्मा, सुरेश, नेत्र चंद शर्मा, अनिकेत, दिव्यांश, संतोष शर्मा, सुदर्शना शर्मा, सुनीता शर्मा, रजनी, अंजू, रेनू शर्मा, अनुशील, कमलेश,सुदेश, मंदिर कमेटी के प्रधान रूप सिंह, सचिव नरेंद्र शर्मा, कोषाध्यक्ष सुखबीर सिंह, उपाध्यक्ष अजमेर सिंह, रमेश सिंह, राममूर्ति, विवेक, अनिल शर्मा,संजय, मस्तराम शर्मा, कुलदीप सिंह, मोहित, तीर्थ राम शर्मा, संजीव ठाकुर, कमल सिंह , नरेन्द्र सिंह व अन्य भी उपस्थित थे।

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