हाल ही में मुख्यमंत्री पंजाब द्वारा भ्रष्ट तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की एक सूची जारी की गई है। इस सूची में बहुत सारे नाम सार्वजनिक किए गए हैं कि कौन किसके माध्यम से और किस प्रकार रिश्वत लेकर जनता का आर्थिक शोषण कर रहा है। इस सूची के जारी होने के बाद जिला होशियारपुर के कुछेक अधिकारियों के नाम सूची में आने से चर्चाएं भी गर्म हो गई हैं कि आखिर एक तहसील में चल रहे गोलमाल को नजऱ अंदाज क्यों कर दिया गया।
इस बारे में जहां कई सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमारी टीम ने इस मामले में कुछ काम किया और पाया कि जब आका का आशीर्वाद हो और सतर्कता वाला अपना हो तथा राम जी का साथ व लवली-लवली बात हो तो फिर कैसी लिस्ट और कैसा भ्रष्टाचार। आप भी सोचते होंगे कि आखिर घुमाकर बात करने में क्या रखा है। सीधे-सीधे बता क्यों नहीं देते। तो सुनिए बात ये है कि हम किसी के विरोधी नहीं हैं बस बातों ही बातों में व्यवस्था पर चोट करके सुधार की उम्मीद करते हैं।
लालाजी स्टैलर की चुटकी
अब होशियारपुर की एक तहसील में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल से पर्दा उठाते हैं। जी हां इस तहसील में आपको सबसे पहले यह देखना है कि रजिस्ट्री कौन करने वाला है। बड़ा या छोटा अधिकारी। अगर बड़ा करने वाला है तो भूल जाएं कि आपका काम होगा। अगर अधिकारी छोटा है तो फिर क्या ही बात। रुकिये कहां चल दिए। अधिकारी छोटा हो या बड़ा। उससे पहले आपको ये जान लेना भी जरुरी है कि उन तक पहुंचने के लिए आपको किसके साथ और आशीर्वाद की जरुरत पड़ेगी। तो सुनिये आपको राम जी के साथ ही और लवली-लवली बात की जरुरत पड़ेगी। अगर आप राम जी को साथ नहीं लेंगे तथा लवली-लवली बात नहीं करेंगे तो काम नहीं होगा। जब इनसे दोस्ती हो जाए तो कोई ताकत आपका काम नहीं रोक सकती।
सरकार ने जिस भी माध्यम से भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कथित तौर पर भ्रष्टाचार कर रहे अधिकारियों की सूची तैयार की है उसमें सतर्कता विभाग की भी शायद भूमिका रही होगी। अब सवाल है कि क्या यहां पर यह विभाग नहीं है? है, पर क्या आप जानते हैं कि होम टाउन मिलना कितना मुश्किल होता है और सियासी आका के बिना ये संभव नहीं। अब जिस अधिकारी के रिश्तेदार ने सरकार के लिए बड़ा काम किया हो उसके रिश्तेदार को मनचाहा स्टेशन मिलना तो तय है। ऐसे में सियासी आका के आशीर्वाद से जो आनंद ले रहा हो, वो उसके खिलाफ रिपोर्ट बनाकर कैसे भेज सकता है, ऐसी चर्चाओं से भी राजनीतिक गलियारों में खूब चटकारे लिए जा रहे हैं।
हालांकि सत्तापक्ष और विरोधी पक्ष दोनों ही एक नेता के खिलाफ रहे तथा जनता के शोषण से उन्हें कोई ज्यादा सरोकार नहीं है। बस राजनीति करके समाचारपत्रों की सुर्खियां बटोरना ही अधिकतर का काम रहा है।
नाम न छापने की शर्त पर एक सज्जन पुरुष ने बताया कि पहले तो बात ये है कि आज के समय में भ्रष्टाचार वही कर सकता है, जिसके पास लेखा-जोखा रखने वाला कोई एक्पर्ट हो, सतर्कता वाला अपना हो, पर्दे के पीछे रहकर माल बटौरने वाला अपना हो, ये काम कैसे होगा कहने वाला अपना हो, पंजाब ही नहीं दिल्ली में कोई अपना हो तथा माल कैसे एडजस्ट करना है ये बताने वाला अपना हो, तो जाके कहीं जब कोई कद्दू कटता है तो बंटता है। लेखा-जोखा इसलिए कि कितना किससे आया अब ये हिसाब मैं थोड़े न रखूंगा। वैसे लेखा-जोखा भी छोटे …त्री के नाम से मशहूर हैं। जिसके कहे बिना अधिकारी की हिम्मत नहीं कि वो…
अब कद्दू कटेगा तो सबमें बंटेगा। जब कद्दू सबसे बंटेगा तो भाई भाप बाहर कैसे निकल सकती है। लेकिन ये जनता है सब जानती है। वैसे भ्रष्टाचार इसी बात से साबित हो जाता है कि जिस दिन बड़ा छुट्टी पर हो या कहीं बाहर गया हो तो छोटे ने कितना काम किया। अब ये तो जांच का विषय है। हमने जो कहना था कह दिया। अब ये सरकार का काम है कि वो व्यवस्था सुचारु बनाए रखने के लिए कैसे कदम उठाती है या फिर बदलाव के नाम पर बदला… की राजनीति के तहत काम करती है।
क्या कौन सा नेता है, कौन सा अधिकारी है, ये सतर्कता वाला कौन है, राम जी से क्या अभिपर्या है, ये लवली-लवली क्या है? लेखा-जोखा कैसे रखते हैं? सियासी आका के आशीर्वाद से जब कद्दू कटता है तो कैसे बंटता है? अब ऐसे सवाल पूछकर मुझे शर्मिंदा न करें। पहले कभी बताया है जो आज बताउंगा।
आप मुझसे ज्यादा समझदार हैं। क्योंकि, मैं तो छोटा सा पत्रकार हूं, आपका सेवक हूं। आज के दिन के लिए इतना ही, मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।