होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। होशियारपुर,शिक्षा विभाग के दिशा निर्देशों के तहत सरकारी प्राइमरी स्कूल अटलगढ़ में बाल मैगजीन नए सवेरे का विमोचन जिला शिक्षा अधिकारी सलविंदर सिंह समरा ,उप जिला शिक्षा अधिकारी धीरज वशिष्ठ, जिला कोऑर्डिनेटर पढ़ो पंजाब पढ़ाओ पंजाब हरमिंदर सिंह, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी, बीएमटी संगीता वासुदेवा, कमल छाबड़ा, हरीश पुरी, मोनिका शर्मा , मैडम बंदना स्कूल स्टाफ, विद्यार्थियों उनके अविभावकों की हाजिरी में हुआ। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी सलविंदर सिंह समरा ने स्कूल इंचार्ज, स्टाफ और विद्यार्थियों की ओर से किए गए इस कार्य की भरपूर प्रशंसा की।
उनके अनुसार विद्यार्थियों को सहित्य के साथ जोडऩे का एक सार्थक कदम है। उन्होंने विद्यार्थियों को स्कूल मैगजीन से संम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि विद्यार्थियों के मन में उपजे विचारों को प्रगट करने इनको सम्भालने का स्रोत स्कूल मैगजीन बनते हैं। समरा ने बताया कि स्कूल मैगज़ीन मैं नन्हें बच्चों ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए बहुत अच्छा संदेश दिया है उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण शब्द का निर्माण परि और आवरण शब्दों को मिलाकर हुआ है। पर्यावरण का तात्पर्य है आस-पास का परिवेश और वातावरण। पर्यावरण में प्रकृति के विभिन्न अंगोपांग सम्मिलित है। इसमें वायु धरा, आकाश समुद्र,पर्वत, वन-उपवन, खेत-बाग-वाटिका, वृक्ष-लता-पुष्प-पल्लव, जीवन-जन्तु आदि का समावेश है। चिरकाल तक प्राकृतिक सम्पदा की सुरक्षा और जीवन जन्तुओं के संरक्षण के कारण पर्यावरण विशुद्ध एवं सतुलित रहा है।
– जिला शिक्षा अधिकारी ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
किन्तु ज्यो-ज्यो वैज्ञानिक प्रगति होती गई, व्यवसायिक और औद्योगिक विकास होने लगा, अनेक प्रकार की प्रविधियों और विज्ञान के उपकरणों का आवष्किार होने लगा,नगरीकरण की व्यापकता बढऩे लगी, अपने उपयोग के लिये वृक्षों को नष्ट किया गया और तीव्रगति से वृक्षारेापण नही किया गया।कल-कारखानों का दूषित द्रव नदियों और अन्य जलाशयों में प्रवाहित किया गया त्यों-त्यों पर्यावरण प्रदूषित होता गया। फलस्वरूप वायु प्रदूषण और ऊर्जा प्रदूषण का संकट बढता जा रहा है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग, जागरूक और सचेष्ट रहने की आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण में बाल-काव्य को भी महत्वपूर्ण भूमिका है। हिन्दी बाल-काव्य के रचनाकारों ने इस दिशा में अपने दायित्वों और कर्तव्य का निर्वहन निष्ठापूर्वक किया है।
आज भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति चेतना जाग्रत करने के लिये हिन्दी बाल काव्य प्रणोता अपनी बाल कविताओं के माध्यम से सतत प्रयत्नशील हैं। उप जिला शिक्षा अधिकारी धीरज वशिष्ठ ने कहा कि बाल काव्य के विकास की प्रारम्भिक अवस्था में कवियों ने भी प्रकृति के विभिन्न अवयवों और विभिन्न रूपों का वर्णन कर अपने प्रकृति प्रेम का परिचय दिया है। अब इस स्कूल के विद्यार्थियों ने धरती, आकाश, वायु, समुद्र, पर्वत, सूरज चाँद सितारे, वृक्ष लता, ऋणु जीव जन्तु आदि का महत्व बाल काव्य में प्रमुखता के साथ रेखांकित किया गया है।