वशिष्ट कार्बन और श्री बाला जी कार्बन फैक्ट्री पर प्रदूषण विभाग की कार्यवाही

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), संदीप डोगरा। इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए समय-समय की सरकारों द्वारा नियमों में छूट एवं रियायतें दी जाती हैं ताकि उद्योगों को बढ़ावा मिले और रोजगार उत्पत्ति के साधन विकसित हों। लेकिन सरकार द्वारा बनाए नियमों को ताक पर रखकर कुछेक उद्योगपति अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे और एक यूनिट की आज्ञा लेकर दो-दो यूनिट स्थापित करके जहां सरकारी फीस की चोरी करके सरकार के राजस्व को बट्टा लगा रहे हैं वहीं पर्यावरण से खिलवाड़ करके मानव जाति के लिए भी खतरे बढ़ा रहे हैं। लेकिन सरकार के डंडे के डर से अब सरकारी विभाग काफी चुस्त नजऱ आने लगे हैं और ऐसी मनमर्जियां करने वालों पर नकेल कसी जाने लगी है।

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होशियारपुर के गांव बस्सी मरुफ में स्थित वशिष्ट कार्बन एवं गांव कांटियां में स्थित श्री बाला जी कार्बन फैक्ट्री पर बिना आज्ञा यूनिट में एक्सटैंशन करने व प्रदूषण नियंत्रण नियमों की अनदेखी करने पर नोटिस जारी करते हुए कार्यवाही की गई है। हालांकि इनमें वशिष्ट कार्बन के डायरैक्टर का कहना था कि प्रदूषण विभाग के अधिकारी उनकी फैक्ट्री में आए थे और संतुष्टि जाहिर करके गए थे, लेकिन विभाग के अधिकारियों के अनुसार फैक्ट्री मालिक द्वारा नियमों की अवहेलना की गई थी, जिसे पर कार्यवाही की गई है।

बता दें कि हमारी टीम ने कुछेक कार्बन फैक्ट्रियों का दौरा किया था और इस दौरान वशिष्ट कार्बन में भी जाना हुआ था। मौके पर मौजूद कंपनी के डायरैक्टर भोला मिश्रा ने बताया था कि उनकी फैक्ट्री में फार्मासुटिकल एवं एयर प्यूरिफायर के लिए प्रयोग होने वाला कार्बन बनाया जाता है और किसी तरह के कैमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता और फरनस यूनिट की आज्ञा ली गई है। लेकिन जानकारी अनुसार फैक्ट्री में दो फरनस यूनिट लगाए गए हैं तथा जब इस बारे में हमारे संवाददाता ने फैक्ट्री के दूसरे डायरैक्टर (पार्टनर) पवन कुमार से बात की तो उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया, जिससे साफ हो जाता है कहीं न कहीं गोलमाल जरुर है। दूसरी तरफ प्रदूषण विभाग के एक्सीयन शिव कुमार ने बताया कि नियमित तौर पर फैक्ट्रियों की इंसपैक्शन की जाती है और अनिमितताएं सामने आने पर कार्यवाही की जाती है। इस दौरान वशिष्ट कार्बन को भी नोटिस जारी किया गया और इसकी सुनवाई एस.ई कार्यालय जालंधर में होगी।

दूसरी तरफ श्री बाला जी कार्बन की बात करें तो उसके मालिक वरुण गुप्ता द्वारा 2 फरनस यूनिट लगाने की मंजूरी सरकार से ली गई है, जबकि मौके पर 4 यूनिट चलाए जा रहे हैं। इस बारे में बात करने पर वरुण गुप्ता ने बताया कि नियमों के तहत की काम कर रहे हैं तथा बिना मंजूरी काम नहीं कर सकते। लेकिन मौके पर हालात पूरी तरह से उल्ट नजऱ आए। जिसके चलते प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने उन्हें भी नियमों की अवहेलना पाए जाने पर नोटिस जारी किया तथा जिसकी जांच जारी है।

आपको बता दें कि कच्चे कोयले और लकड़ी से ही कार्बन बनता है और उसे कार्बन में बदलने की प्रक्रिया के दौरान अंतिम रुप देने के लिए पानी व कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। जिसके बाद वह प्रयोग में लाने के काबिल बनता है। लेकिन वशिष्ट कार्बन के डायरैक्टर भोला मिश्रा ने न जाने कौन सी साईंस पढ़ी है कि उनके अनुसार उनकी फैक्ट्री में बनाए जाने वाले कार्बन में कैमिकल का प्रयोग नहीं होता। अब देखना यह होगा कि नियमों के विपरीत काम कर रहीं ऐसी फैक्ट्रियों पर प्रदूषण विभाग के अलावा उद्योग विभाग व अन्य संबंधित विभाग किस तरह की कार्यवाही को अमल में लाते हैं तथा क्या उसे सार्वजनिक किया जाता है या नहीं।

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