नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़), पलक। चंद्रयान-3 मिशन को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) को चांद पर किसी ऑब्जेक्ट की लोकेशन ट्रेस करने का एक नया तरीका मिल गया है। जिसमें कि विक्रम लैंडर ने एक अहम भूमिका निभाई है। रिपोर्ट के मुताबक चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहे नासा के एलआरओ स्पेसक्राफ्ट ने विक्रम लैंडर की चांद पर लोकेशन को पता लगाया है। नासा ने बताया कि लेजर रोशनी को लूनर रेकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) और विक्रम लैंडर पर एक छोटे रेट्रोरिफ्लेक्टर के बीच प्रसारित और परावर्तित किया गया, जिससे चंद्रमा की सतह पर लक्ष्य का सटीकता के साथ पता लगाने की एक नई शैली का तरीका मिल गया।
ऑर्बिटर ने विक्रम पर लगे एक छोटे रेट्रोरिफ्लेक्टर से वापस लौटकर आई रोशनी दर्ज की जिसके बाद नासा के वैज्ञानिकों को पता चला कि उनकी तकनीक काम कर गई है। किसी वस्तु की ओर लेजर तरंगों को भेजना और प्रकाश को वापस लौटने में लगने वाले समय की माप, जमीन से पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के स्थानों का पता लगाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर पर लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) ने चंद्रमा पर संदर्भ के लिए सटीक रूप से स्थित एक मार्कर यानी ‘फिडुशियल पॉइंट’ के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।