अदालत द्वारा आदेश मैडीकल कालेज बठिंडा के एमडी डा. गुरप्रीत गिल की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज

चंडीगढ़, (द स्टैलर न्यूज़)। लुधियाना की अतिरिक्त ज़िला और सैशन अदालत ने बुधवार को आदेश मैडीकल कालेज बठिंडा के एमडी डाक्टर गुरप्रीत गिल की नियमित ज़मानत पटीशन ख़ारिज कर दी, जिसको राज्य विजीलैंस ब्यूरो द्वारा पंजाब राज्य फार्मेसी कौंसिल ( पी. एस. पी. सी.) के रजिस्ट्रारों और कर्मचारियों की मिलीभुगत के साथ अयोग्य उम्मीदवारों को दाखि़ल करने और डी- फार्मेसी की डिग्रियाँ जारी करने के दोष में गिरफ़्तार किया गया था। 

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इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये राज्य विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि प्राईवेट फार्मेसी कालेजों के मालिकों/ प्रिंसिपलों समेत पी. एस. पी. सी. के पूर्व रजिस्ट्रारों, कर्मचारियों और दूसरे के विरुद्ध अयोग्य विद्यार्थियों को दाखि़ले, रजिस्ट्रेशन और डी- फार्मेसी के लायसेंस जारी करने में अनियमितताएं करने के लिए ब्यूरो ने पहले ही एफ. आई. आर. नम्बर 17 तारीख़ 8. 12. 2023 को आई. पी. सी. की धारा 420, 465, 466, 468, 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7 7 ए, 8, 13(1) (ए) 13 (2) के अधीन आर्थिक अपराध विंग विजीलैंस ब्यूरो के थाना लुधियाना रेंज में आपराधिक मामला दर्ज किया हुआ है। 

ज़िक्रयोग्य है कि डाक्टर गुरप्रीत गिल को 15. 01. 2024 को गिरफ़्तार करके अगले दिन अदालत में पेश किया गया था परन्तु उसके वकील ने उसकी सर्ज़री का मैडीकल रिकार्ड पेश किया था। उसकी दरख़ास्त पर लुधियाना की अदालत ने उस का सिविल अस्पताल लुधियाना से जांच डाक्टरी जांच करवाने के हुक्म दिए हैं। अस्पताल के तीन माहिरों वाले मैडीकल बोर्ड ने उसे उसी दिन भाव 16. 01. 2024 को पी. जी. आई चंडीगढ़ के लिए रैफर कर दिया था और उसको ब्यूरो की न्यायिक हिरासत के अधीन पी. जी. आई चंडीगढ़ में दाखि़ल करवाया गया था। वहाँ माहिरों के एक बोर्ड द्वारा जांच करने के बाद उसको 24 जनवरी, 2024 को पीजीआइ से छुट्टी दे दी गई है। 

उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में उपरोक्त मुलजिम डाक्टर गुरप्रीत सिंह गिल के इलावा विजीलैंस ब्यूरो ने आदेश इंस्टीट्यूट आफ मैडीकल साइंस एंड रिर्सच बठिंडा के प्रिंसिपल सरबजीत सिंह बराड़, साल 2013 में बरनाला जिले के लाला लाजपत राय कालेज सहिना के प्रिंसिपल रहे आर. एस. रामाकोड़ी और साल 2011 में लाला लाजपत कालेज आफ फार्मेसी मोगा के प्रिंसिपल रहे बलजिन्दर सिंह बाजवा को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इस मामले में विजीलैंस पहले पी. एस. पी. सी. के दो पूर्व रजिस्ट्रार मुलजिम प्रवीन कुमार भारद्वाज और डा. तेजवीर सिंह समेत सुपरडैंट अशोक कुमार के इलावा 9 फार्मासिस्टों को भी नामज़द करके गिरफ़्तार किया है। 

प्रवक्ता ने आगे बताया कि डी- फार्मेसी संस्थाओं में खाली पड़ीं सीटों को भरने के लिए प्राईवेट कालेजों के मालिकों ने उक्त रजिस्ट्रारों और पी. एस. पी. सी. के कर्मचारियों के साथ मिलीभुगत करके लाज़िमी माइग्रेशन सर्टीफिकेट लिए बिना अन्य राज्यों के विद्यार्थियों से बड़ी रिश्वतें लेकर को उनको दाखि़ल किया। इसके इलावा, बहुत सी विद्यार्थियों ने डी-फार्मेसी पाठ्यक्रम में दाखि़ला लेने के लिए मैडीकल या नान- मैडीकल स्ट्रीम में अपेक्षित 10$2 शैक्षिक योग्यता प्राईवेट तौर पर पास की हुई थी, जबकि इसके लिए रेगुलर क्लासें और विज्ञान के प्रैक्टिकल लगा कर पास होना लाज़िमी होता है। उन्होंने आगे बताया कि इस मामले की आगे जांच जारी है जिससे पी. एस. पी. सी. के अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों और क्लर्कों के साथ-साथ प्राईवेट कालेजों से सम्बन्धित व्यक्तियों की भूमिकाओं की भी जांच की जा सके।

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