महिलाओं से छीने जा रहे हैं अधिकार: लक्ष्मीकांता चावला

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अमृतसर (द स्टैलर न्यूज़)। पूरा देश महिला दिवस के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है, पर यह कार्यक्रम सभी उन कालेजों, विश्वविद्यालयों और सरकारी संस्थ्ज्ञानों में हो रहे हैं जहां सभी शिक्षित और अधिकतर जागरूक लोग हैं। जो महिलाएं शिक्षा ज्ञान विज्ञान की मुख्य धारा में आ चुकी हैं उनके लिए तो कार्यक्रम हो जाते हैं, पर जो आज भी महिलाओं का एक वर्ग अशिक्षित है, दहेज जैसी कुरीतियों का शिकार है, पारिवारिक हिंसा जिन्हें बहुुत ज्यादा सहनी पड़ती है, लिव इन रिलेशन जैसी बुराइयों जिनको न्यायपालिका का भी संरक्षण प्राप्त हो गया है, इससे कितने घर उजड़ रहे हैं, यह किसी ने नहीं देखा। देश में महिलाओं के अद्र्धनग्न विज्ञापनों की भरमार है, जिनमें समाचार पत्र और इलेक्ट्रानिक मीडिया बराबर का दोषी है।

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एक तरफ तो देश के धर्म गुरु, शासक, प्रशासक भाषणों में स्त्री पूजा की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर अश्लील विज्ञापन और विज्ञापनों में महिलाओं का भद्दा प्रदर्शन देखकर खामोश रहते हैं। मेरा देश की सरकारों से निवेदन है कि ऐसे अपमानजनक महिलाओं के विज्ञापन बंद करवाएं और धर्म गुरुओं से यह कहना है कि धर्म के नाम पर जो महिलाओं से भेदभाव होता है उसे पूरी तरह खत्म करें। ये सभी धर्म गुरु और नेता याद रखें कि महिलाएं न तो पूजा की वस्तु बनकर जीना चाहती हैं और न ही प्रदर्शन की। हमें मानव के नाते जो स्थान और अधिकार चाहिए वह मिले। क्या किसी भी धर्म संप्रदाय के गुरु यह बता सकते हैं कि उनके संप्रदाय में महिलाओं से भेदभाव नहीं। जो अधिकार संविधान ने दिए हैं वह यह धर्म के नाम पर छीन लिए जाते हैं।

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