अशवनी, अमरजीत, चमन लाल व पुष्पा, ने शरीरदान प्रणपत्र भर कर समाज के लिए बने प्रेरणास्त्रोत: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री गुरु रविदास गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सेखोवाल द्वारा प्रधान सूबेदार मेजर अशवनी कुमार हीर की अध्यक्षता में शरीर दान नेत्रदान संबंधी कैम्प का आयोजन डा. भीम राव आंबेडकर के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। जिसमें रोटरी आई बैंक के चेयरमैन श्री जे.बी.वहल, प्रधान व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा, सचिव प्रिं. डी.के. शर्मा विशेष तौर पर उपस्थित हुए। कैम्प के दौरान प्रबन्धक कमेटी के प्रधान सूबेदार मेजर अशवनी कुमार हीर उनकी धर्म पत्नी श्रीमति अमरजीत कौर और प्रैस सचिव श्री चमन लाल व उनकी धर्मपत्नी पुष्पा देवी ने मरणोंपरांत शरीर दान करने के लिए प्रण पत्र भरे।

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वहां पर उपस्थित सैंकड़ों लोगों ने उनके इस नेक कार्य की सराहना की। इस अवसर पर प्रधान व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा, चेयरमैन जे.बी.वहल व सचिव प्रिं. डी.के. शर्मा ने प्रण पत्र भरने वाली शखसीयतों को सम्मानित करते हुए कहा कि उक्त शखसीयतों द्वारा मानव सेवा के लिए प्रण पत्र भरे गये हैं। उन्होने समाज के समक्ष एक मिसाल कायम की है तथा इनकी मिसाल समाज सेवा हेतू कुछ करने की इच्छा रखने वालों के लिए सदैव प्रेरणास्त्रोत का कार्य करेगी। श्री अरोड़ा ने बताया कि रोटरी आई बैंक की प्रेरणा से अब तक 24 लोगों द्वारा मरणोपरांत शरीर दान किए जा चुके हैं । उन्होने कहा कि नेत्रदान व शरीर दान ही एक ऐसा दान है जो मरणोपरांत किया जाता है। इसके लिए हमें जीते जी प्रण पत्र भर कर अपनी इच्छा व्यक्त करनी होती है ताकि हमारे जाने के बाद कोई अड़चन पेश न आये और समाज सेवा का मनोरथ भी पूरा हो सके।

श्री अरोड़ा ने कहा कि ऐसी जागरुकता से जहां नेत्रहीनता को खत्म किया जा सकता है वहीं मैडिकल साईंस की पढ़ाई कर रहे बच्चों के लिए मानव शरीर से जुड़ी खोज को और विस्तार से करने में सफलता मिलेगी। इस लिए सोसायटी द्वारा नेत्रदान एवं शरीर दान के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है। इस मौके कमेटी के प्रधान अशवनी कुमार ने अपने प्रण पत्र भरते हुए कहा कि उनकी जितनी सम्रथा है उसके हिसाब से जीते जी वह समाज सेवा कर रहे हैं तथा मरणोपरांत भी वह ऐसा करना चाहते थे कि उनकी देह किसी के काम आ सके। इसलिए उन्होने मरणोपरांत शरीर दान करने का फैसला किया। कैम्प का आयोजन गुरदियाल सिंह भनोट जिला अध्यक्ष एक्स सर्विसमैन की प्रेरणा से हुआ जो पूर्णतया सफल रहा। उन्होने कहा कि जीते जी हमें मानव सेवा करनी चाहिए वहीं मरणोपरांत नेत्रदान व शरीरदान करके इस पुण्य कार्य में भागीदार बनना चाहिए। इस अवसर पर संतोख राम, जोग राज, सतपाल, जोगा सिंह, राकेश कुमार, यशपाल सिंह, सुखपाल सिंह, सुखविंदर सिंह, राज कुमार व अन्य उपस्थित थे।

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