कोटला (वरिष्ठ पत्रकार रजनीश शर्मा)। कोटला गांव में दलित वर्ग के छात्र सवर्ण जातियों के बच्चों के साथ खाना खाने का मामले में विवाद पैदा हो गया। सवर्ण लोगों ने दलित वर्ग से संबंध रखने वाले छात्रों को एक-एक करके बाहर कर दिया। बस इतनी ही देर हुई कि गांव के दोनों वर्ग के लोगाें में संघर्ष शुरू हो गया। नौबत गाली गलौच और हाथपाई तक आ गई। हालांकि मौके पर पुलिस जवान और प्रशासनिक अधिकारी भी थे, लेकिन सब देखते ही रह गए। कोटला के धनी राम, नोक सिंह, रामधन का कहना है कि गांव के कुछ स्वर्ण जातियों के लोगों ने हमारे बच्चों को जलील किया है एक तरफ तो राज्यपाल ने सामूहिक भोज करने को कहा था जिस कारण हमारे बच्चे भी स्वर्ण जाति के बच्चों के साथ सामूहिक भोज करने के लिए बैठे थे, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें वहां खाना खाने से रोक दिया और वहां से बाहर निकाल दिया। उसके बाद हमारे बच्चों को दूसरी पांत में बैठा दिया। इस संघर्ष से ठीक पहले राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गांव के एक-एक लोगों से बातचीत की और जातपात के भेदभाव को मिटाने की बात समझाई और गांववासी भी उस समय राज्यपाल की बात को मान गए, लेकिन राज्यपाल की गांव से रवानगी होते ही गांव में एकसाथ खाना खाने को लेकर विवाद पनप गया।
अलग-अलग पंक्तियों में बैठकर खाना खाया
मामला ठंडा होने के बाद फिर अलग अलग पंक्तियां बना दी और स्वर्ण जातियों और दलितों ने अलग-अलग पंक्तियों में बैठकर खाना खाया। दोनों जातियों के लोगों के बीच एक दीवार का फासला था। उधर एसपी कुल्लू पदम चंद का कहना है कि हमारे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। पदम चंद का कहना है कि हालांकि मैं भी राज्यपाल के साथ कोटला गांव गया हुआ था, लेकिन हम राज्यपाल के साथ ही गांव से वापस लौट गए थे। उसके बाद गांव में इस तरह की कोई घटना हुई इसकी जानकारी मुझ तक नहीं पहुंच पाई है। हालांकि अब स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है तथा गांव का माहौल भी काफी शांत था। गांव निवासियों व अन्य लोगों ने मामले को गांव तक ही सीमित रखने तथा इसे हवा न दिए जाने की बात भी कही है।