नाड में आग लगाकर पशु-पक्षियों को जिंदा जलाने वाले अन्नदाता नहीं हो सकतेः संजीव कुमार

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। आजकल अक्सर देखा जा रहा है कि अगली फसल के लिए खेत को जल्द से जल्द खाली करने की होड़ में गेहूं की नाड में आग लगाकर कई पशु-पक्षियों की जान ले ली जा रही है। पिछले 24 घंटे में एक ही परिवार के तीन और एक ही परिवार के एक व्यक्ति की जान इस आग की भेंट चढ़ गई है। जब कोई बड़ा हादसा होता है तो खेत मालिक कहता है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी है, जबकि आग लगने के कारण बहुत स्पष्ट हैं।

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सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और पत्रकार संजीव कुमार का मानना है कि जो किसान पशु-पक्षियों को भगवान मानकर अपने हिस्से का भोजन छोड़ देते थे, आज वही किसान उनकी जान के दुश्मन बन गये हैं, कई पक्षी नदी किनारे के पेड़ों पर अपना घोंसला बना चुके हैं भी इस आग की चपेट में आ जाते हैं और निर्दोष पक्षी मारे जाते हैं।

पहले के समय में किसान अपने खेतों में पक्षियों का चारा छोड़ देते थे। खेतों में आग लगाने वालों को अपने आप को धार्मिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उन्हें धरती को माँ और पवन को गुरु कहने का कोई अधिकार नहीं है। वोटों की इस राजनीति में कोई भी सरकार या अधिकारी उन्हें गलत कहने से कतराते नजर आते हैं, जो खतरनाक है, सभी किसानों को सरकार का सहयोग कर पर्यावरण को बचाना जरूरी है ताकि हम पशु-पक्षियों के जीवन को सुरक्षित बना सके ।

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