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हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रजनीश शर्मा। सुजानपुर में नई भाजपा के नाम से चर्चा में आए राजेंद्र राणा एंड पार्टी को भाजपा के ही भीतरघात की आहट मिल चुकी है। यही वजह है कि नड्डा और जयराम की फौज के साथ साथ सुजानपुर के चप्पे चप्पे पर आरएसएस ने भी नजर रखना शुरू कर दी है। भाजपा को चिंता यह है कि कांग्रेस सीएम बचाओ के नाम पर एक जुट है और कांग्रेस का कैडर वोट सुजानपुर में कहीं नहीं खिसकेगा। वहीं एक योजना के तहत भाजपा से कांग्रेस में गए कैप्टन रणजीत सिंह को आज भी भाजपा का सहानुभूति वोट हाथ को मिलने की प्रबल संभावना है। कैप्टन रणजीत स्वयं तो कांग्रेस में योजनाबद्ध ढंग से चले गए लेकिन उनकी सभी रिश्तेदारियां भाजपा में ही है। ऐसे में उन्हें कांग्रेस के साथ साथ भाजपा के वोट भी पड़ रहे हैं । इसी भीतरघात के कारण भाजपा सजग और अलर्ट मोड में आ गई है। संघ द्वारा सुजानपुर की राजनीति में प्रभाव रखने वाले गिने चुने लोगों की हर मूवमेंट, सभा और उनसे मिलने वाले लोगों पर खास नजर भी रखी जा रही है। पता चला है कि कुछ लोगों को सख्ती से तो कुछ को इशारों से राजेंद्र राणा के लिए काम करने या फिर मतदान तक घर में दुबकने की भाषा भी समझा दी गई है।
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सुजानपुर भाजपा में भीतरघात कोई नई बात नहीं
सुजानपुर में हमेशा भाजपा को भाजपा ने हराया है। चाहे बात 2012 में उर्मिल ठाकुर की हो या 2017 में प्रेम कुमार धूमल की। 2022 में भी भाजपा के कैप्टन रणजीत भाजपा के भीतर घात के कारण ही 399 मतों से हारे। इस बार भाजपा से राजेंद्र राणा और कांग्रेस से कैप्टन रणजीत हैं । सुजानपुर भाजपा ने 2017 की धूमल की हार अभी तक भूली नहीं है। इस बार भाजपा में भीतरघात का कारण भी यही होगा । इसकी आहट जयराम नड्डा और आरएसएस को भी लग चुकी है। बेशक इस बार भीतरघात के दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलेंगे । सुजानपुर की इस रहस्यपूर्ण राजनीति की असली तस्वीर चार जून को रिजल्ट के साथ सामने आएगी।
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