कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढ़िया। 29 जून को होने वाली रथ यात्रा के उपलक्ष में वीरवार को इस्कॉन कपूरथला की ओर से तेरवीं संध्या फ़ेरी अर्बन एस्टेट पुड़ा में बड़ी धूम-धाम से निकाली गई। जिसमे इस्कान कपुरथला के संचालक नीरज अग्रवाल (नकुल दास) ने बताया की ये तेरवीं संध्या फ़ेरी का भी अर्बन एस्टेट के भक्तों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इस संध्या हरिनाम फेरी में भक्तों का सैलाब देखने को मिला। जिससे पता चलता है कि लोगों में भगवान की रथ यात्रा को लेकर कितना उत्साह है। भक्तों ने भगवान जगन्नाथ जी की पालकी के आगे बहुत ही उत्साह से नृत्य किया। कालोनी वालो ने पुष्प वर्षा के साथ भगवान का स्वागत किया और भगवान् के आने की खुशी में आतिशबाजी भी चलाई गई। ये संध्या फ़ेरी अर्बन एस्टेट स्थित नीलकंठ मंदिर की गई। जहां कॉलोनी के सभी गणमान्य, अर्बन एस्टेट वेलफेयर कमेटी के प्रेजिडेंट एडवोकेट अनुज आनंद और मंदिर कमेटी के प्रधान एडवोकेट प्रदीप कुमार तुली, सन्नी गुपता, सूरज अग्रवाल, प्रदीप कांग, विकास पुरी, राकेश शर्मा, राकेश पराशऱ, कुंदरा के साथ सभी सदस्य उपस्थित थे।
इस संध्या हरिनाम फेरी की समाप्ती आरती श्री गुलशन गुप्ता, मधु गुप्ता के घर पर बड़ी धूम-धाम से हुई। उल्लेखनीय है कि वीरवार को भगवान श्री रंगम राधा रमन जी का प्रकट्या दिवस था। इस उपलक्ष में नकुल दास जी ने भगवान् के प्रकट्या की कथा सुनाते हुए कहा की भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु जी के विशेष पार्षद थे छठ गोस्वामी और उन्ही छठ गोस्वामिओं में से एक थे श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी का दक्षिण भारत के रहने वाले थे। यह दक्षिण भारत में श्री रंगम मंदिर के हैड पांडे के पुत्र थे और जब श्री चैतन्य महाप्रभु दक्षिण भारत की यात्रा पर निकले तो वहां पर वह रंगनाथ जी के मंदिर उनके दर्शन करने के लिए गए। चेतन्य महाप्रभु जो की युग अवतार हैं और सभी जीवों को युग धर्म सिखाने के लिए आये हैं। कलयुग में युग धर्म कुछ और नहीं हरिनाम संकीर्तन ही है, जो आप सभी यहां पर कर रहे हो। तो महाप्रभु रंगनाथ जी के मंदिर में भी हरिनाम कीर्तन करने लगे और भगवान के प्रेम में मगन होकर नृत्य करने लगे। तभी गोपाल भट्ट के पिता जी ने देखा की यह तो स्वयं भगवान कृष्ण के भक्त रूपी अवतार चैतन्य महाप्रभु हैं तो वह उन्हे अपने घर ले गये।
महाप्रभु चतुर्मास मै उनके ही घर मैं रहे और इस दौरान गोपाल भट्ट जी ने उनकी बहुत सेवा की। इस दौरान गोपाल भट्ट जी का महाप्रभु के प्रति इतना आकर्षण हो गया की उन्होंने सोचा की वह अपना सब कुछ छोड़ कर महाप्रभु के साथ ही चले जाएगे। पर महाप्रभु ने कहा इस का समय भी आएगा, बस तुम विवाह मत करना बस यहा रह कर अपने माता पिता की सेवा करना। गोपाल भट्ट जी ने ऐसा ही किया पहले अपने माता पिता की सेवा की और फिर उनके निधन के बाद वह वृन्दावन चले गये। फिर वहां से एक दिन उनका मन यात्रा करने को किया और यात्रा करते हुए वह गंडकी नदी के किनारे पहुंचे और वहां स्न्नान काटने लगे। तभी उनके कमंडल में कुछ शालीग्राम शिलाएं आ गई। शालीग्राम शिलाओं को बार बार नदी मैं डालने पर भी, वह दुबारा उनके कमंडल में वापिस आ जाती। यह देख कर गोपाल भट्ट गोस्वामी जी समझ गये की भगवान् की यही इच्छा है। वह उन शिलाओं को लेकर वृन्दावन वापिस लोट आये। एक दिन वृन्दावन में एक सेठ आया और सभी संतों को उनके सेवित विग्रहों के श्रृंगार के लिए वस्त्र और आभूषण बाँट रहा था। तोह गोपाल भट्ट गोस्वामी जी बड़े उदास हो गये क्योंकि उनके पास तो विग्रह नहीं बल्कि शिलाएं थीं।
यही सोचते सोचते रात को सो गये। लेकिन जैसे ही सुबह उन्होंने उठकर भगवान् के दर्शन किये तो वह यह देख कर चकित रह गए की उनके शालिग्राम अब एक सुन्दर त्रिभंग रूप में बदल चुके थे। यह होता है भगवान् का अपने भक्त के प्रति प्रेम इस प्रकार उस सुन्दर विग्रह का नाम रखा गया श्री राधा रमन जी। सभी भक्तों ने कथा का आनंद लिया और भगवान् की जय जय कार की। हमें भगवान कृष्ण अगर कुछ मागना है तो केवल भक्ति मांगनी चाहिए। अगर हम ने भगवान के धाम वापिस जाना की तो उसके लिए केवल एक ही रास्ता है भक्ति का। आगे बताते हुये नीरज अग्रवाल (नकुल दास) ने कहा की 29 जून को सभी शहर निवासियो के सहयोग के साथ भगवान की दिव्य रथ यात्रा निकाली जायेगी। सभी से प्रार्थना है की इन हरिनाम संध्या फेरिओं में अवश्य शामिल हों। क्योंकि इनके द्वारा हम सभी का हृदय शुद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि भगवान हमारे हृदय में प्रवेश कर सकें।