होशियारपुर। इन दिनों बच्चों की वार्षिक परीक्षा चल रही है या कई स्कूलों में शुरु होने वाली है। इसके उपरांत स्कूलों में नए सत्र के लिए बच्चों के दाखिले होंगे। इसके लिए कई स्कूल प्रबंधकों द्वारा बच्चों से दाखिले के नाम पर मोटी फीस वसूलने की तैयारी भी शुरु कर दी गई है, जोकि बच्चों के साथ सरासर अन्याय है। प्राइवेट स्कूलों के साथ-साथ संस्थाओं द्वारा चलाए जाने वाले स्कूलों को चाहिए कि वे बच्चों से कम से कम दखिला फीस लें तथा जो संस्थाएं बड़ी हैं वे दाखिला फीस न लेने का फैसला लें ताकि व्यवसाय बनती जा रही शिक्षा प्रणाली पर नकेल लग सके और अच्छे स्कूलों में पढऩे का गरीब का सपना भी साकार हो सके। उक्त बात नई सोच संस्था के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कही। अश्विनी गैंद ने कहा कि देखा गया है कि कई माडल एवं कानवैंट स्कूल दाखिले के नाम पर अभिभावकों का आर्थिक शोषण करते हैं, जिसके चलते कई अभिभावक अपने बच्चों को माडल स्कूल में पढ़ाने से वंचित रह जाते हैं और बच्चों की प्रतिभा दम तोड़ जाती है। इसलिए समर्थ संस्थाओं से अपील की जाती है कि वे दाखिला फीस के नाम पर अभिभावकों का शोषण बंद करें तथा आम लोगों की आर्थिक स्थिति का मजाक न बनें व उन्हें ऐसे स्कूलों में पहुंच कर शर्मिंदा न होना पड़े। अश्विनी गैंद ने कहा कि शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन को चाहिए कि वे दाखिले शुरु होने से पहले प्रत्येक स्कूल की फीसों का मंथन करे तथा बिना कारण वसूली जाने वाली भाी भरकम फीसों पर लगाम लगाने की कार्रवाई को अमल में लाए। उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा इस कड़ी के तहत जिलाधीश एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को मांगपत्र देकर कार्रवाई की मांग भी की जाएगी।