-कर्मियों की कमी के चलते एक सीट पर बैठे कर्मी को करना पड़ता है 7-8 सीटों का काम:राकेश शर्मा
-पंजाब सरकार ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू न की तो चुनाव में करना पड़ सकता है विरोध का सामना-होशियारपुर। आज जस्टिस अशोक कुमार माथुर की रिपोर्ट पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों संबंधी केन्द्र सरकार द्वारा मोहर लगा दी गई है। केन्द्रीय कर्मियों एवं पैंशनरों के साथ-साथ 29 राज्यों के कर्मियों तथा पैंशनरों पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। बहुत ही लोगों की मनों में जो भ्रांतियां इस सातवें पे-कमिशन संबंधी आई हैं। उस संबंधी द स्टैलर न्यूज़ ने इम्पलाइज फैडरेशन (भारद्वाज) के जिला चीफ आर्गेनाइजर राकेश शर्मा से बात की। उन्होंने बड़ी गंभीरता से इस संबंधी प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि जब भी सरकारी कर्मियों का वेतन बढ़ाने की बात होती है तो उन्हें ऐसे देखा व समझा जाता है कि जैसे उन्होंने अभी सरकारी ख्जाना लूट लेना हो। पूरी ईमानदारी से सरकार का बनता टैक्स जमा करवाने वाली इस श्रेणी को जब चंद लोग (सरकारी चमचे) सरकार का बोझ कहते हैं तो पीड़ा असहनीय हो जाती है।
काम करते हैं कर्मी और मजे लूटते हैं अधिकारी
यदि सरकार कर्मी बोझ होते तो फिर अकेले अधिकारियों से काम क्यों नहीं करवा लिया जाता। सच्चाई तो सिर्फ यह है कि अधिकारीगण आज भी सिर्फ बनी बनाई रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने तक ही सीमित हैं। कड़वी सच्चाई है कि एक रिपोर्ट जिसे 5-6 कर्मी मिलकर मुश्किल से तैयार करते हैं या ऐसा कार्य जिसे कर्मियों का एक समूह मिलकर पूरा करता है सारे का सारा श्रेय सिर्फ और सिर्फ एक अधिकारी ले जाता है। हद तब हो जाती है जब उस अधिकारी को वेतन भी उन 5-6 कर्मियों का जोड़ अकेले को दिया जाता है। हम भूल जाते हैं कि प्रत्येक जन-जन को सुविधा देने के लिए बिजली कर्मी और पुलिस कर्मी का ड्यूटी समय ही निश्चित नहीं है। जब सभी विभागीय कर्मी 8 घंटे ड्यूटी कर चले जाते हैं तो यह वो विभाग हैं जिनके कर्मियों को 24 घंटे ड्यूटी पर रहना होता है, तो क्यों वेतन देते समय सरकार इनको भूल जाती है। आज सरकारी नौकरियों की दशा क्या है सभी जानते हैं।
सरकारी विभागों में है कर्मियों की कमी
शायद ही कोई विभाग होगा जहां मंजूर संख्या अनुसार कर्मी काम कर रहे हों। 7 से 8 कर्मियों के बदले एक कर्मी से काम लिया जा रहा है और वेतन बढ़ाते समय आंखें दिखाई जा रही हैं। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक कार्य का पूरा वेतन कर्मियों को नहीं मिलेगा उसकी भौंहे तनती रहेंगी। तंत्र के खिलाफ वो बोलता रहेगा और जायज मांगों को मनमाने के लिए पुन: संघर्षशील हो जाएगा इसमें कोई अतकथनी नहीं है। फाइनांस मिनिस्टर पंजाब द्वारा पंजाब के कर्मियों का वेतन न बढ़ाए जाने संबंधी दिए गए बयान के बारे में बात करने पर राकेश शर्मा ने कहा कि यह तो जले पर नमक छिडक़ने वाली बात है। एक तरफ तो सरकार विभागों में रिक्त पदों को भरने में आनाकानी कर रही है तथा कर्मियों पर कार्य का बोझ बढऩे से वे मानसिक और शारीरिक तौर से शोषण का शिकार हो रहे हैं, ऊपर से पंजाब सरकार का ऐसा रवैया कर्मियों के रोष को बढ़ाने वाला है। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब सरकार ने कर्मियों की मांगों की तरफ ध्यान न दिया तथा वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू न किया तो आने वाले चुनाव में सत्ताधारी पार्टियों को विरोध का सामना करना पड़ सकता है।