आधुनिक भारत में मशीनरी के अभाव में सीवरमैनों की मौत होना दुख की बात: डा. अजय बग्गा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। सामाजिक जागरुकता हेतु कार्यरत संस्था सवेरा की तरफ से श्री राम भवन बहादुरपुर में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। यह प्रार्थना सभा उन 10 सीवरमैनों की आत्मा की शांति के लिए थी, जिनका देश के अलग-अलग हिस्सों में सैपटिक टैंक व सीवरेज साफ करते हुए निधन हो गया था।

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सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने 2 मिनट का मौन रखकर बिछड़ी आत्माओं की शांति की कामना की। इस अवसर पर सवेरा के कनवीनर डा. अजय बग्गा ने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में मौत का शिकार हुए इन सीवरेमैनों में से 5 की मौत पश्चिमी दिल्ली के मोती नगर में सीवर टैंक साफ करने दौरान हुई। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही शर्म की बात है कि आधुनिक भारत में हमारे शासक सीवरमैनों को आधुनिक मशीनरी उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। जबकि आज के भारत में सीवरमैनों को सीवरेज लाइन की सफाई के लिए बकटिंग मशीन, जेटिंग मशीन, सक्शन मशीन, हाइड्रॉलिक आप्रेटर व माउंटेड ग्रैब बक्ट आदि उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। यह सीवरमैनों के हकों की रक्षा के लिए बनाए गए कानून वायोलेशन ऑफ मैनुअल स्कावेंजर्स एडं रीहेवलिटेशन एक्ट 2013 के तहत सेक्शन 44 की अवमानना है जिसमें सीवरमैनों को सुविधाएं एवं मशीनरी मुहैया करवाने की बात कही गई है।

सितंबर माह में देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई 10 सीवरमैनों की मौत, सरकार से की सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों अनुसार 10 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की मांग

डा. बग्गा ने कहा कि यह इन 10 सीवरमैनों की मौत शाइनिंग इंडिया की छवि को पूरी तरह से धूमिल कर दिया है। यह हमारे देश के लिए बहुत शर्म की बात है जहां समानता के लक्ष्यों की प्राप्त के दावे किए जाते हैं।

प्रार्थना सभा दौरान सदस्यों ने मांग की कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 में दिए गए आदेशानुसार इन सीवरमैनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। राष्ट्रीय कमिशन फॉर सफाई कर्मचारी ने भी दावा किया था कि वर्ष 2017 में 120 सीवरमैनों की मौत हुई थी, जिन्हें पर्याप्त रुप में मुआवजा दिया जाना चाहिए।

इसके साथ-साथ सवेरा संस्था ने रेलवे अधिकारियों से भी मांग की कि जब ट्रेन स्टेशन पर रुके तो उस समय शौचालयों के प्रयोग पर पाबंदी लागू की जानी चाहिए। हालांकि स्टेशन पर शौचालय का प्रयोग करने संबंधी चेतावनी को लगाई गई होती है, मगर अधिकांश लोग इसका उलघन करते हैं। यह नियम सख्ती से लागू न होने से स्टेशन पर कर्मचारियों को सफाई व्यवस्था बनाए रखने में दिक्कत पेश आती है और गंदगी के कारण अन्य कर्मियों और यात्रियों को भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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