पंजाब में जमात-ए-अहमदिया का होशियारपुर है आध्यात्मिक स्थल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। यह बात तो हम सब जानते हैं कि ईश्वर अपने नेक बंदो से बातें करता है,उनकी दुआओं को सुनता है और स्वीकार भी करता है। इस बात के प्रमाण विभिन्न धर्मों में मिलते हैं। इस्लाम धर्म में भी इसकी मिसालें मिलती हैं। पंजाब की धरती में भी ऐसे कई महापुरुषों ने जन्म लिया जिन्होंनों ईश्वर से बात की और उनकी दुआओं को सुना। इन महापुरुषों ने इंसानियत की स्थापना की व भूले भटके समाज को पुन: ईश्वर के साथ जोड़ा। इन्ही महापुरुषों में से एक हजरत मिर्जागुलाम अहमद साहिब कादियानी थे। जिनका जन्म जि़ला गुरदासपुर में 1835 ई. को हुआ था। उन्होंने इस्लाम पर हो रहे हमलो का जवाब बराहिने अहमदिय्या के नाम से पुस्तकों की एक श्रृंखला प्रकाशित कर तर्क के साथ दिया।

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उन्होंने इस्लाम धर्म में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए योगदान दिया तथा वह हजरत मुहमद साहिब के सच्चे अनुयाई हैं और इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरुप पथ भ्रष्ट लोगों के सुधार के लिए आए हैं। इस दावे का ऐलान होने पर कुछ लोगों ने आपकी शिक्षाओं को स्वीकार कर लिया किंतु कुछ लोगों ने आपकी सत्यता पर संदेह करते हुए प्रमाण मांगा। इस पर मिर्जागुलाम अहमद साहिब ने अल्लाहताला से अपनी सत्यता की फरियाद की इस पर ईश्वर ने कहा कि तुम्हारी मनोकामना होशियारपुर में पूर्ण होगी। इसलिए हजरत मिर्जा गुलाम अहमद साहिब ने 22जनवरी 1886 को होशियारपुर की यात्रा की और 40 दिन तक शहर के बाहर स्थित एक इमारत में उपासना की। जिसके परिणाम स्वरुप ईश्वर ने भविष्यवाणी करते हुए आप से कहाकि 9 साल के भीतर तुम्हें एकपुत्र रत्न की प्राप्ति होगी और वो पुत्र बहुत सारी विशेषताओं से संपन्न होगा।

इस भविष्यवाणी को हजरत मिर्जागुलाम अहमद साहिब ने 20 फरवरी 1886ई. में प्रकाशित करवाया। इस भविष्यवाणी के अनुसार बटाला के समीप कादियान स्थित आपके घर में 12जनवरी 1889 को एक बेटे ने जन्म लिया। पिता ने उस बेटे का नाम बशीरुद्दीन महमूद रखा। यह बच्चा असाधारण प्रतिभाओं का धनी था। आप भविष्य में अहम दिया मुस्लिम संम्प्रदाय के दूसरे खलीफा (उत्तराधिकारी) मनोनित हुए। आपने 52 साल तक बेहद कठिन परिस्थितिओं में अहम दिया मुस्लिम जमायत का नेतृत्व किया। इसके परिणाम स्वरुप इस्लाम व अहमदियत की शिक्षाओं का प्रसार पूरी दुनिया में होने लगा। मिर्जा बशीरुद्दीन महमूद साहिब ने इस्लाम की मूल शिक्षाओं को सही ढंग से परिभाषित करते हुए बहुत सारी पुस्तकें प्रकाशित करवाई। इनके द्वारा अल्लाह की भविष्यवाणी की वह घटना सच साबित हुई जो 20 फरवरी 1886 को आपके पिता तथा अहमदिया संम्प्रदाय के संस्थापक हजरत मिर्जागुलाम अहमद साहिब के साथ घटित हुई थी।

इस बात का प्रमाण अहमदिया मुस्लिम समाज के उस माध्यम से मिल जाता है। जिसमें इस्लाम की वास्तविक शिक्षाओं के अनुसार अपना जीवन व्यतीत किया जाता है। इस प्रमुख दिन के महत्व को प्रकट करने के लिए विश्व भर में अहम दिया मुस्लिम जमायत प्रतिवर्ष 20 फरवरी को मुसलेमौऊद दिवस के रुप में मनाती हैं। पुरानी कनक मंडी होशियारपुर स्थित वह इमारत जिसमें वह भविष्यवाणी हुई थी, अहमदिया मुस्लिम जमायत के लिए आज वह श्रद्धा का एक केंद्र बन चुकी है। दुनिया भर से अहमदिया समाज के श्रद्धालु इस इमारत में दुआ करने के लिए पहुंचते हैं और परमेश्वर के द्वारा की गई उस भविष्यवाणी के गवाह बनते हैं।

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