अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों में खुद को साबित करने वाली महिला हैं “संतोष चौधरी”

वैसे तो मातृ शक्ति के लिए हर दिन सम्मान का दिन होता है, मगर विश्व में एक दिन महिलाओं के नाम करके उस दिन को उनके लिए खास बनाया गया है ताकि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान एवं विश्वास और बढ़ सके व यह उनके लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम भी नहीं है। इस महिला दिवस हम बात करेंगे पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री संतोष चौधरी की और उनके जीवन से जुड़े कुछ पहलु आपके साथ सांझा करेंगे।

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जनसेविका एवं लोकप्रिय नेत्री के तौर पर विख्यात पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री संतोष चौधरी का जन्म गांधीवादी विचारधारा से संबंधित परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिमाचल प्रदेश के सनावर व सोलन और चंडीगढ़ से ग्रहण की। पंडित जवाहर लाल नेहरु की विचारधारा का इन पर इतना असर था कि किसी भी समाचारपत्र एवं मैगजीन में पंडित जी से संबंधित सूचना को अपनी किताबों पर लगा लेती थी। पिता के देशभक्ति के विचारों से आप इतनी प्रभावित हुईं कि देश व समाज सेवा का ज़ज्वा आपमें कूट-कूट भर गया। आपका विवाह भी गांधीवादी विचारधारा वाले परिवार में हुआ और विवाह के उपरांत ससुर पूर्व मंत्री एवं सांसद स्वतंत्रता सैनानी चौधरी सुंदर सिंह एवं पति राम लुभाया की प्रेरणा से आपने एम.ए. बी.एड़ की शिक्षा हासिल की।

-महिला दिवस पर विशेष-

राजनीतिक परिवारों से संबंधित होने के कारण और सक्रिय राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की महिलाओं को आगे लाने की सोच ने आपको पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन का सदस्य बनाया तथा सदस्य बनने वाली आप पहली युवा सदस्या थीं। 1956 में यह कमिशन बना था और 1980 में बतौर चेयरपर्सन काम करने का भी अवसर मिला। श्रीमती चौधरी बताती हैं कि पंजाब के काले दौर में जब कमिशन द्वारा परीक्षा ली जानी थी तो कट्टरपंथियों से संबंधित कुछ संगठनों ने परीक्षा का विरोध जताया और तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उनसे मिलने से इंकार कर दिया था। उस समय किसी भी तरह के खतरे की परवाह किए बिना आप उनसे मिली और आपके द्वारा विनम्रता पूर्वक की गई बातचीत का यह परिणाम निकला कि वे परीक्षा करवाने के लिए मान गए। इतना ही नहीं स्व. राजीव गांधी की अस्थियां ले जाने की बात जब सामने आई तो एक बार फिर से कट्टरपंथियों ने जान से मारने की धमकियां दी। उस समय में भीचौधरी परिवार अपनी जान की परवाह किए बिना अस्थियों को विसर्जन करने के लिए साथ गया।

आपके ससुर फिल्लौर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे और एक लोकप्रिय नेता के रुप में जाने जाते थे। 1992 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए संतोष चौधरी के नाम पर मोहर लगाई और परिवार की जनसेवा एवं अपने मिलनसार स्वभाव के कारण श्रीमती चौधरी चुनाव जीती। श्रीमती चौधरी बताती हैं कि यह उनके लिए नया अनुभव था, क्योंकि सक्रिय राजनीति में यह उनका पहला कदम था। वे बताती हैं कि वे अकसर सुनती थी कि राजनीति बहुत गंदी है, जबकि उनके अनुसार राजनीति जनसेवा का सबसे आसान और सटीक माध्यम है। मगर जब वे इसका हिस्सा बनी तो उन्हें पता चला कि राजनीति गंदी नहीं है बल्कि कुछ लोगों ने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए इसे गंदा बना दिया है। ससंद में जब उन्हें बोलने का मौका मिला तो उन्होंने गरीब और शोषित वर्ग के लिए योजनाएं बनाने की आवाज़ बुलंद की। 2002 में पार्टी ने उनके पति राम लुभाया को विधानसभा हल्का शाम चौरासी से विधानसभा टिकट दी और वे विजयी रहे। संतोष चौधरी ने अपने पति के साथ जनसेवा का क्रम निरंतर जारी रखा और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने आपको लोकसभा हल्का होशियारपुर से बतौर उम्मीदवार घोषित किया। यह चुनाव जीतकर संतोष चौधरी का कद पार्टी में और भी बड़ा हो गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह वाली सरकार ने एवं पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी ने संतोष चौधरी को राष्ट्रीय सफाई आयोग के चेयरपर्सन की जिम्मेदारी सौंपी। इस जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए आपने देश भर में सफाई कर्मियों से जुड़ी समस्याओं को दूर करवाने तथा उनका जीवन स्तर ऊंचा उठाने के भर्सक प्रयास किए व कामयाब भी रहीं। 2013 में पार्टी ने संतोष चौधरी को केन्द्रीय राज्यमंत्री बनाकर महिला सशक्तिकरण के पथ पर एक और कदम बढ़ाया और यह पहली बार था कि जब कांग्रेस ने पंजाब से किसी दलित महिला को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी हो।

2017 में पति राम लुभाया के अकस्मात निधन के उपरांत शोक में डूबी संतोष चौधरी की सेवाओं को जनता ने तोला और परखा तथा अपने प्यार एवं सम्मान से उनके मनोबल को इतना बढ़ाया कि वे पहले की तरह ही जनता की सेवा में जुट गईं। संघर्षमयी जीवन में संतोष चौधरी के सामने वे मुकाम भी आए जब इनके आगे बढऩे की राहों में कई लोगों ने कांटे बिछाए, मगर जनता के प्यार ने उन काटों को फूलों में बदल दिया। जिन पर चलते हुए संतोष चौधरी हर मुसीबत को पार करती गईं।

आप चौधरी परिवार के सिद्धांतों का अनुसरन करते हुए 24 घंटे जनकल्याण के लिए समर्पित रहीं। इतनी उपलब्धियों भरे जीवन के अब तक के सफर में संतोष चौधरी ने कई उतार चढ़ाव देखे मगर जनसेवा का जो लक्ष्य लेकर श्रीमती चौधरी चलीं वे आज भी जारी है तथा सातों दिन जनकल्याण के कार्यों में व्यस्त रहती हैं। इनकी मेहनत और परिश्रम इन्हें प्रेरणास्रोत के तौर पर स्थापित करते हैं तथा ऐसी महिलाएं महिला दिवस की गरिमा को और भी बढ़ा देती हैं।

प्रस्तुति: पुष्पिंदर कौर
संवाददाता, द स्टैलर न्यूज़।

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