परमात्मा को पहचान लेने से व्यक्ति के संचित कर्म हो जाते हैं समाप्त: महात्मा सुरिंदरपाल सिंह

होशियारपुर/गढ़दीवाला (द स्टैलर न्यूज़)। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से संत निरंकारी सत्संग भवन गढ़दीवाला में ब्रांच के इंचार्ज महात्मा अवतार सिंह के नेतृत्व में संत समागम का आयोजन किया गया। इस मौके पर दसूहा के संयोजक महात्मा डा. सुरिंदरपाल सिंह विशेष तौर पर पहुंचे। उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा कि गुरसिख हमेशा सतगुरु के वचनों को जीवन में ढाल कर जीवन व्यतीत करता है, जिससे उसके जीवन में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहती। वह हमेशा ही सतगुरु का शुक्राना अदा करता रहता है।

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उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रात:काल की स्वच्छ वायु, फूलों की मधुर सुगन्ध व उगते सूर्य की किरणों का लाभ केवल वही उठा पाते हैं जो व्यक्ति बन्द कमरे से बाहर निकल कर मैदानों में जाते हैं ठीक उसी प्रकार इन्सान द्वारा परमात्मा की चर्चा या गुणगान करने मात्र से नहीं बल्कि सत्गुरू की शरण में जाकर इसकी जानकारी हासिल करके इसे अच्छी तरह पहचान कर अपने जीवन का अंग बना लेने से ही चौरासी लाख योनियों से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जो भी इन्सान परमात्मा को पहचान लेता है उसके संचित कर्म तत्काल समाप्त हो जाते हैं फिर उसे उनका भुगतान नहीं करना पड़ता जिससे उसकी मुक्ति संभव हो जाती है। ऐसे इन्सान को संसार छोड़ते समय किसी प्रकार का दुख नहीं होता क्योंकि वह पहले भी परमात्मा से जुड़ा होता है और बाद में भी उसकी आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है। ऐसे समय में वह परमात्मा का शुक्रिया अदा करता है कि आपने मुझे इस धरती पर रहने का जितना भी समय दिया तेरा शुक्रिया है।

अंत में ब्रांच के इंचार्ज महात्मा अवतार सिंह के नेतृत्व में सहायक शिक्षक डा. सुखदेव सिंह, शशि बाला, सुषमा रानी ने संयोजक महात्मा डा. सुरिंदर सिंह को दुपट्टा पहना कर स्वागत व धन्यवाद किया।

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