तकनीकी युग में भी आत्मज्ञान से ही खत्म होंगे मन के विकार: साध्वी भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। इंसान इलैक्ट्रानिक मस्तिष्क को बहुत महत्व देने लग गया है। मानव मस्तिष्क से भी ज्यादा और अपनी असीमित इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने दिमाग को भी इलैक्ट्रॉनिक दिमाग बना लिया है जो कि मानव परेशानी और तनाव का कारण बन चुका है।

Advertisements

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सरकारी कालेज टांडा में प्रिंसिपल राकेश बग्गा की अध्यक्षता में करवाये गए समागम में साध्वी मनिंद्रा भारती जी ने कहा कि आजकल बहुत सी मनोवैज्ञानिक चिकित्साओं की पद्दतियां बन चुकी है। लेकिन इतनी चिकित्सा पद्भतियां होने के बाद भी निराशा और तनाव इतना बढ़ चुका है कि आंकड़ों के अनुसार भारत में तनाव से ग्रस्त मरीज सबसे ज्यादा है।

आज की मनोविज्ञानिक पद्भतियां वैचारिक और व्यवहारिक बदलाव तो करती है परंतु इलाज नही करती कि ये चिंता खत्म हो जाए, यही कारण है कि जाना माना मनोविज्ञानिक फ्रायड अपने आसरे रहे १८ मनोरोगियों का इलाज नही कर पाया और यहां तक कि स्वयं को भी सिगार की लत अर्थात नशे की लत के मनोरोग से मुक्त नही कर पाया। कृष्ण जी ने भी अर्जुन के सामने आत्म तत्व को उद्घाटित कर दिया। वो कहते है कि स्थूल शरीर के परे इंद्रियां है और इंद्रियों से परे मन है, मन से परे बुद्धि है।

बुद्धि से परे अत्यंत श्रेष्ठ, बलवान व सूक्ष्म आत्मा है। प्रभु कहते है कि पार्थ तू आत्मज्ञान द्वारा अपने मनोविकार रुपी दुर्जय शत्रु को मार डाल। आज मनोविज्ञान को ब्रह्मज्ञान या आत्मज्ञान का आधार दीजिए जो अल्टीमेटम मनोविज्ञान है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here