हर स्त्री का अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व, उसको भी है जीने का हक: युवा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। किसी भी समाज की सरंचना में हर आयु और वर्ग का अहम योगदान है और अगर बात युवाओं से जुड़े सामाजिक मुद्दों की हो तो परिवार के बाद शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। यह मानना है प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता व सर्वश्रेष्ठ कंप्यूटर संस्थान नाईस कम्प्यूटर्ज के डायरेक्टर प्रेम सैनी का, जिनके योग्य मार्गदर्शन में यह संस्थान पिछले 28 सालों से यूथ एंपावरमेंट के हर मुमकिन प्रयास में कार्यरत है।

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इसी कड़ी में बदलते दौर में नारी के बदलते परिवेश व उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ बदलते सामाजिक परिवेश पर नाईस कंप्यूटर्ज होशियारपुर व चब्बेवाल संस्थानों में एक खास परिचर्चा रखी गई। सेंटर संचालिका, विख्यात कैरियर काउंसलर व साईकोलॉजिस्ट स्वीन सैनी की अध्यक्षता में रंगारंग समारोह के दौरान सभी छात्रों व ट्रेनर्ज को नारी की वर्तमान सोच व सपनों को लेकर पारिवारिक व सामाजिक अड़चनों व सहयोग पर अपने विचार रखने को प्रोत्साहित किया गया।

स्वीन सैनी ने बताया कि फन गेम्स और मनोरंजक प्रतियोगितायों के बीच सबको अपने सपने, आकांक्षाएं और उलझन सांझी करने को प्रेरित किया गया। हर किसी को अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ बेझिझक अपने जीवन में चल रही परेशानियों और वर्तमान नकारात्मक पहलुओं पर खुलकर बात करने का हौंसला दिया गया ताकि उन्हें प्रैक्टिकल हल व सकारात्मक सुझाव दिये जा सकें। संस्थान में पी.जी.डी.सी.ए. कर रही बिन पति के सहयोग से दो बच्चों की मां ने जब पारिवारिक जिम्मेवारियों और हर दिन आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया तो हर आंख नम हो गई, लेकिन इन सबके बीच उसके सपनों को पूरा करने की जिद ने सभी में हौसला भर दिया।

हर उम्र की लड़कियों व महिलाओं के लिये घर से बाहर असुरक्षा के माहौल पर गुस्सा भी फूटा और उससे निपटने के लिये हिम्मत, तरीकों व कौशल पर भी बात हुई। दोनों संस्थानों में इस परिचर्चा की एक और उपलब्धि यह रही कि इसमें लडक़ों ने भी बराबर संाझेदारी की जिसके तहत एक विद्यार्थी ने पक्ष रखा कि सबको यकीन होना चाहिये कि हर स्त्री का अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व है जिसको अपना जीवन अपने ढंग से जीने का हक है और शादी के बाद उसके साथी को उसके पक्ष में खड़े रहने की जरुरत है। स्त्रियों के प्रति कोई भी अपराध या अत्याचार करने वाले को सख्त सजा का कानून ही नहीं, इस पर अमल करने का हक लागू होने की हर एक ने वकालत की, फिर भले ही वो बाहरी हो या पारिवारिक सदस्य।

एक नवविवाहिता ने उत्साहपूर्वक अपने मन की आशा बताई कि वह एक बेटी को जन्म देना चाहती है और खुद को शिक्षित करने के साथ-साथ अपनी बेटी को भी खूब पढ़ाएगी। सरकारी नौकरी के लिये तैयारी कर रही डी.सी.ए. की विद्यार्थी ने प्रण लिया कि एक अच्छे पद पर पहुंचकर वो योग्य मगर गरीब छात्राओं को पढ़ाकर व स्वावलंबी बनाने में जुट जाएंगी और खुद सक्षम होकर दूसरों को प्रेरित करने के यथासंभव प्रयास करेंगी। स्वीन सैनी ने कहा कि यह सच है कि काबलियत व प्रयासों के बावजूद भी अपने अधिकारों व सम्मान की लड़ाई अभी भी जारी है।

दलती विचारधारा के साथ सुलझे विचारों व सशक्त सोच वाले पुरुष अगर आगे आकर महिला के गुणों, प्रतिभा व उपलब्धियों को मान देते हैं, स्वीकारते हैं तो उन्हें समाज व परिवार द्वारा दब्बू समझकर दीनता का अहसास दिलाने का हर मुमकिन प्रयास किया जाता है जिसमें अधिकतर महिला वर्ग ही शामिल रहता है। उन्होंने आग्रह किया कि हर महिला की अपनी प्राथमिकताएं तय हों और कदम सही दिशा में हों तो यकीन मानिये बराबरी के हक पाकर अपना एक वजूद बनाने से कोई नहीं रोक पायेगा।

अन्त में अपने लेखों के जरिये समाज को जागरुक करने के साथ-साथ हर दिन प्रैक्टिकल स्तर पर भी संस्थान की लड़कियों को प्रोत्साहित, सम्मानित करने व वक्त बेवक्त विचार सांझा करने के ऐसे अनगिनित अवसरों के लिये दोनों संस्थानों की नाईस टीम की महिला सदस्यों ने स्वीन सैनी व प्रेम सैनी का धन्यवाद किया।

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