होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़ ), रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से गांव खलवाना में होशियारपुर ब्रांच की मुखी बहन सुभदरा देवी जी के नेतृत्व में ब्रह्मलीन महात्मा विष्णु दत्त की याद में श्रद्धांजलि समागम करवाया गया। इस मौके पर महात्मा विष्णु दत्त जी के भक्ति भरे जीवन से संगत ने प्रेरणा ली। उनका जीवन भक्ति भरा, निरंकार सतगुरु पर विश्वास भरा और उनमें सेवा का जजबा भरपूर देखने को मिला। उन्होंने छोटी आयू में ही सत्संग, सेवा व सिमरन को प्राथमिकता दी, जहां आज इंसान सोचता है कि भक्ति करने की उम्र बुढ़ापे में होती है, इस महात्मा ने अपनी जवानी में ही सतगुरु से इस निरंकार प्रभु की जानकारी हासिल करके भक्ति मार्ग पर ऊचाइयां हासिल की।
इस महात्मा का हर इंसान के साथ प्यार था, स्वभाव में विनम्रता, सहनशीलता तथा वाणी में हमेशा मिठास रहती थी। इस मौके पर महात्मा सरूप सिंह ने अपने शब्दों में फरमाया कि इंसानी जीवन का महत्व परमात्मा का पाना है। आत्मा का नाता इस जीवन पर परमात्मा से नहीं जुड़ा तो फिर जीव को चौरासी लाख योनियों को एक लम्बा दुख भोगना पड़ता है। भक्ति की कोई आयू नहीं होती क्योंकि इंसान को यह मालूम नहीं होता इंसान के स्वास कितने है। संत महापुरुष इंसान को समझाते है कि जल्दी से जल्दी सतगुरु से इस प्रभु का ज्ञान हासिल करके अपनी आत्मा का नाता परमात्मा से जोड़ ले और चौरासी लाख योनियों का बंधन से मुक्ति हासिल कर ले। महात्मा विष्णु जीवन हमारे सामने एक बहुत बड़ी मिसाल है जिन्होंने छोटी आयू में ही इस प्रभु को जान लिया और सत्संग, सेवा, सिमरन में अपने जीवन को समर्पित कर दिया। आज हम उनके भक्ति भरे जीवन से प्रेरणा लेने के लिए यहां एकत्रित हुए है।
युगों युगों से महापुरुष इंसान को समझाते आए है कि मानस जीवन बहुत बहुमुल्य है इसका बार बार मिलना आसान नहीं है। महापुरुषों ने माया की नींद में सोए हुए लोगों को हर युग में जगाने का प्रयाय किया है, कि जमीन जायदाद, परिवार, महिल, माया यह केवल जीवन का गुजरान है यह जीवन को चलाने के लिए जरूरी साधन हैं पर केवल इनको हासिल करना इंसान जीवन का उद्देश्य नहीं है। इंसानी जीवन का उद्देश्य प्रभु प्राप्ति है जो केवल समय के सतगुरु की कृपा से ही मिल सकता है। मौके के पैगम्बर सतगुरु माता सुदीक्षा जी प्रभु का ज्ञान बांट रहे है और इंसान को इस जीवन की महत्ता समझा कर जीवन जीने की कला सिखा रहे है। महात्मा सरूप सिंह ने फरमाया कि संतों महापुरुषों का जीवन दुनिया के लिए एक रोशन मिनार की तरह होता है, जिन के भक्ति भरे जीवन से प्रेरणा लेकर दुनिया अपने जीवन की दिशा बदलती है।
ऐसा ही जीवन महात्मा विष्णु दत्त जी जीकर गए है। गुरु के वचनों को और भक्ति की मर्यादा उन्होंने हमेशा ही प्राथमिकता दी है। हम सभी को भी ऐसे भाव लेकर अपने जीवन में भक्ति को आेर दृढ़ करना चाहिए। इस अवसर पर भारी संख्या में संत महात्मा उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रेम सिंह मुखी अज्जोवाल, संचालक बाल किशन, संचालक बलविंदर सिंह, मुखी शामचौरासी चमन लाल, बलवीर, गगन, रमन, निर्मल दास, ध्यान सिंह, मिलन, जीत राम आदि उपस्थित थे।