20 दिन में ही उखड़ी रेलवे की सडक़, घटिया मटीरियल और लापरवाही की खुली पोल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। करीब 20 दिन पहले जब होशियारपुर-फगवाड़ा रोड पर शहर के अंदर पड़ते मुख्य रेलवे फाटक पर रेलवे द्वारा सडक़ की जर्जर हालत पर तरस खाते हुए सडक़ का नवनिर्माण करवाया गया तो लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि सडक़ के निर्माण के दौरान ही सडक़ की सटीकता एवं उसमें बरते जा रहे घटिया मटीरियल को लेकर सवाल उठने शुरु हो गए थे, मगर रेलवे ने इस तरफ ध्यान देना जरुरी नहीं समझा। जिसके चलते सडक़ चंद दिनों में ही उखडऩी शुरु हो गई है। आलम यह है कि फाटक के समीप जहां बड़े-बड़े गढ्ढे होने के कारण वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था को मिट्टी से भरकर उस पर लुट एवं बजरी डाल दी गई।

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मात्र 100 मीटर से भी कम सडक़ का निर्माण करने में करीब 4 दिन का समय लगा और इस दौरान दो दिन तो यह मार्ग पूरी तरह से बंद भी रखा गया था। लोगों ने उम्मीद व्यक्त की थी कि शायद काम बहुत बढिय़ा ढंग से किया गया होगा, मगर सडक़ निर्माण में प्रयोग की गई घटिया सामग्री और लापरवाही की पोल फाटक के समीप पुन: सडक़ उखडऩे से मात्र 20 दिन में ही खुल गई। जिससे रेलवे में फैले भ्रष्टाचार की तरफ साफ इशारा कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनका सरकारी तंत्र जितना मर्जी भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन मुहैया करवाने तथा वातावरण बनाने का दावा करते हों, मगर रेलवे द्वारा सालों बाद बनवाई गई इस सडक़ का इतनी जल्दी उखडऩा रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है। इतना ही नहीं रेलवे स्टेशन के समीप सैशल चौक की तरफ जाने वाली मार्ग पर भी लापरवाही का आलम पसरा हुआ है।

वहां पर भी सडक़ की एक साइड तो बना दी गई, मगर दूसरी साइड कई दिनों से रेलवे अधिकारियों की नजर-ए-इनायत के इंतजार में है। आधी सडक़ बनने से आधे भाग में बरती बिखरने से दोपहिया वाहन चालकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वहां से गुजरते समय दोपहिया वाहन चालक को हर समय स्किड होने से गिरने का खतरा बना हुआ है। रात के समय स्ट्रीट साइट न होने से खतरा और भी बढ़ जाता है।

इन दिनों जबकि चुनाव का समय चल रहा है तो ऐसे में रेलवे अधिकारियों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वह जनता की सुविधाओं का ध्यान रखें, मगर कुंभकरणी नींद में सोए अधिकारी शायद जागना मुनासिब नहीं समझ रहे, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतने को मजबूर होना पड़ रहा है। शहर निवासियों एवं राहगीरों ने रेलवे के उच्चाधिकारियों से मांग की कि सडक़ बनाने में बरती गई लापरवाही की जांच करवाई जाए और इसके जिम्मेदार अधिकारियों एवं ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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