वातावरण व जमीन की शुद्धता बरकरार रखने के लिए गेहूं की नाड़ को आग न लगाए किसान: जिलाधीश

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। ईशा कालिया ने कहा कि किसान वातावरण व जमीन की शुद्धता बरकरार रखने के लिए गेहूं की नाड़ को आग न लगाए। वे जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स में कृषि विभाग की ओर से चलाई जा रही 7 जागरु कता वैनों को रवाना कर रहे थे। ईशा कालिया ने कहा कि यह जागरु कता वैनें जिले के गांवों में घूमेंगी और किसानों को गेहूं के नाड़ को आग न लगाने का संदेश देंगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष धान के सीजन के दौरान जिस तरह जिले के किसानों ने पराली को आग न लगाकर वातावरण हितैषी होने का सबूत दिया था, उसी तरह अब भी गेहूं के नाड़ को आग न लगाकर वातावरण प्रेमी होने का सबूत दें।

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-जिले की मंडियों से खरीदा जा चुका है 118779 मीट्रिक टन गेहूं

उन्होंने कहा कि नाड़ को आग लगने से जहां वातावरण प्रदूषित होता है, वहीं जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है। इससे जमीन के मित्र कीड़े भी मर जाते हैं और फसलों के झाड़ में भी कमी आती है। जिलाधीश ने कहा कि जिले मंडियों में गेहूं की खरीद के प्रबंध सुचारु ढंग से चल रहे हैं और मंडियों में गेहूं का एक-एक दाना उठाने के लिए जिला प्रशासन वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग एजेंसियों की ओर से अब तक 118779 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि मंडियों में 121200 मीट्रिक टन गेहूं की आमद हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इनमें पनग्रेन ने 27647, मार्कफैड ने 17800, पनसप ने 22188, पंजाब स्टेट वेयर हाउस कार्पोरेशन ने 10077, पंजाब एग्रो ने 7775, एफ.सी.आई. ने 31988 व ट्रेडर्स ने 1304 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को समय पर लिफ्टिंग सुनिश्चित बनाने के निर्देश भी दिए। ईशा कालिया ने किसानों को अपील करते हुए कहा कि वे निर्धारित की गई 12 प्रतिशत नमी वाला गेहूं ही मंडियों में लाएं। उन्होंने कहा कि सांय 7 बजे के बाद व सुबह 9 बजे से पहले कंबाइन के माध्यम से कटाई न करें, क्योंकि इस समय के दौरान गेहूं की कटाई करवाने से गेहंू में नमी ज्यादा होती है। उन्होंने किसानों को नई तकनीके अपनाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इन तकनीकों के अपनाने से जहां किसानों की आय में वृद्धि होगी वहीं खेत में जैविक स्तर बढऩे से खादों की बचत व खेत में नदीन नाशक दवाईयों का प्रयोग भी कम होगा। मुख्य कृषि अधिकारी डा. दलवीर सिंह छीना ने कहा कि फसलों के अवशेष को आग लगाने से लोगों को सांस लेने में, फेफड़ों की बीमारी, आंखों की बीमारी, खुजली आदि बीमारियां हो जाती है और किसानों का बहुत ज्यादा वित्तिय नुकसान होता है। इस दौरान इंजीनियर अरु ण शर्मा, डा. सुरिंदर सिंह, अवतार सिंह, रमन शर्मा आदि भी उपस्थित थे।

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