बच्चों ने विभिन्न भाषाओं और नाटकों से दिया प्यार, नम्रता व सहनशीलता का संदेश

चण्डीगढ (द स्टैलर न्यूज़)।नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा अनेक भाषाओं का सहारा लेते हुए यही कहा गया कि प्यार, नम्रता, करूणा, दया, सहनशीलता को अपनाना व इन्सानियत के रास्ते पर चलना ही हर इन्सान का कर्तव्य है क्योंकि इन गुणों को अपनाने के लिए आयु का कोई सम्बन्ध नहीं होता।

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इसलिए इन बच्चों की आयु बेशक कम थी लेकिन इनके द्वारा अनेक रूपों से दिए गए संदेश निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा दी जा रही शिक्षाओं से भरपूर थे, ये उद्गार आज यहां सैक्टर 30-ऐ में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए मुखी स्तर के बाल समागम की अध्यक्षता करते हुए सैक्टर 40 एरिया के मुखी पवन कुमार जी ने व्यक्त किए।

उन्होंने आगे कहा कि कि निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं का ही प्रभाव है जो आज निरंकारी मिशन में प्रीत, प्यार, नम्रता से सारे संसार को एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रहे हैं। जहां संसार जात-पात मज़हबों के बन्धनों के कारण बंटा हुआ है वहां निरंकारी मिशन सारी मानवता को ब्रहमज्ञान देकर एक प्यार की डोर में बांधता है। इस समागम में 400 के करीब बच्चों ने हिसा लिया है और निरंकारी बच्चों ने मानवीय गुणों अर्थात एकत्व, प्यार, नम्रता, सहनशीलता, आपसी भाईचारे को अपनाने के सन्देश को विभिन्न भाषाओं का सहारा लेते हुए कई गीत, कविता, स्पीच, स्किट आदि के रूप में व्यक्त करते हुए बताया कि हम सब एक हैं और सभी एक मानव परिवार के रूप में बन जायें।

स्वग्रीय श्री केशो राम जी की याद दिलाते हुए पवन कुमार ने बताया कि उन्होंने न केवल चण्डीगढ़ बल्कि भारत के हर राज्य में स्थित ब्रान्चों में स्वयं जाकर बच्चों की संगते कायम की और बच्चो को सत्संग व परमात्मा से जुडऩे के लिए प्रोत्साहित करते थे। इस अवसर पर चण्डीगढ ब्रांच के संयोजक नवनीत पाठक ने आई हुई संगत का धन्यवाद किया और बच्चों को आर्शिवाद देते हुए कहा कि आज के बच्चे कल के राष्ट्र निर्माता हैं। यदि बच्चों को बचपन से ही झुकने के मार्ग, सहनशीलता व इन्सानियत के मार्ग पर चलाया जाए तो बड़े होकर यही बच्चे न केवल माता-पिता की सेवा करेंगे बल्कि एक आदर्श नागरिक बनकर समाज व देश के भी सेवक सिद्ध होंगे ।

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