कांग्रेस के सरकारी तंत्र से कांग्रेसी परेशान: कर्मी ने किया था दुरुव्यवहार, शिकायत की तो किया जाने लगा और परेशान

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े कार्यकर्ताओं के चेहरे उस समय खिल-खिल जाते हैं जब उनकी पार्टी की सरकार आती है। उनके हौंसले बुलंग हो जाते हैं कि अब उन्हें छोटे-छोटे काम के लिए किसी का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा तथा प्रशासनिक कार्यों के लिए भी उन्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा। परन्तु पंजाब में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद भी कांग्रेस के कई कार्यकर्ता ऐसे हैं जिन्हें छोटे-छोटे काम के लिए अकाली-भाजपा सरकार के समय से भी अधिक परेशान होना पड़ रहा है तथा अगर वे किसी कर्मचारी की शिकायत भी करते हैं तो कर्मचारी पर कार्यवाही के स्थान पर कार्यकर्ता को ही मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है। ऐसा ही ताजा मामला उस समय सामने आया जब असला लाइसेंस रीन्यू करने गए एक कांग्रेसी नेता से एक कर्मी ने दुरुव्यवहार किया और कमरे से बाहर निकल जाने का फरमान सुना दिया। इतना ही नहीं जब यह वाक्य हुआ तो उस समय कांग्रेसी नेता के साथ शिकायत निवारण कमेटी के सदस्य भी मौजूद थे और कर्मी ने उनका भी लिहाज नहीं किया। इस संबंधी जब कांग्रेसी नेता ने बड़े अधिकारियों के पास इसकी शिकायत की तो कर्मचारी पर कार्यवाही के स्थान पर उल्टा कांग्रेसी नेता को ही किसी न किसी बहाने से मानसिक पीड़ा दी जा रही है। सरकारी तंत्र से आहत हुए कांग्रेसी नेता ने कहा कि अगर अधिकारियों ने उनके साथ धक्केशाही करने का प्रयास किया तो वह भूख हड़ताल करने जैसा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे और इसके लिए उन्हें जहां तक भी जाना पड़ा वे अपने हक की लड़ाई जरुर लड़ेंगे।

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सरकारी तंत्र से आहत हुए कांग्रेसी नेता दीपक नैय्यर ने बताया कि उन्होंने इसी साल 3 जनवरी को असला लाइसेंस रीन्यू करवाने के लिए सेवा केन्द्र होशियारपुर में फाइल जमा करवाई थी। उन्होंने बताया कि कुछ दिन बाद ही उन्हें पता चला कि उनकी फाइल पर असला नंबर गलत होने के कारण आपत्ति लगाई गई है। दीपक ने बताया कि 2012 में जब उन्होंने असला लिया था तो असला ब्रांच की तरफ से नंबर चढ़ाते समय गलत डाल दिया गया था, जिसे उन्होंने 2012 में ही ठीक कर दिया था। इसके बाद दो बार उनका लाइसेंस रीन्यू हो चुका है। जब वे सेवा केन्द्र पहुंचे तो उन्होंने उन्हें असला ब्रांच कमरा नंबर 207 में उनकी फाइल या फाइल की कापी लाने के लिए भेजा। दीपक ने बताया कि इस पर उनहोंने 3-4 चक्कर लगाने के बाद वहां मौजूद कर्मचारी ने उन्हें कमरे में पड़ी ढेर सारी फाइलों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इनमें अपनी फाइल ढूंढ लो। इस दौरान शिकायत निवारण कमेटी के सदस्य जेसन मैथ्यू भी उनके साथ मौजूद थे।

वे दोनों ही फाइलों को खंगालकर अपनी फाइल ढूंढने लगे। करीब आधे घंटे से भी अधिक समय के बाद कड़ी मशक्कत करके उन्होंने अपनी फाइल ढूंढी। इसके बाद जब उन्होंने फाइल वहां मौजूद कर्मचारी को दिखाई तो बिना किसी बात के कर्मचारी भडक़ उठा और भद्दी शब्दाबली का प्रयोग करते हुए बोला कि आपने मेरी सारी फाइलें ऊपर नीचे कर दी। इसके बाद उसने गालियां देते हुए उन्हें कमरे से निकल जाने को कहा। दीपक ने बताया कि कर्मचारी के व्यवहार से वे बहुत आहत हुए और उन्होंने इसकी शिकायत जिलाधीश के समक्ष उपस्थित होकर की। उन्होंने बताया कि शिकायत पर कार्रवाई तो क्या की जानी थी उल्टा उन्हें ही परेशान किया जाने लगा। अधिकारियों द्वारा उन्हें एक चिट्ठी जारी कर दी गई कि वे असला दिखाएं एवं असला खरीद का बिल भी दिखायें, जबकि दो बार पहले भी यही असला लाइसेंस रीन्यू हो चुका है।

दीपक ने कहा कि एक तो पहले ही भारी भरकम फीस देकर जनता अपने काम करवा रही है और ऊपर से इस प्रकार की परेशानी से लोगों का सरकारी तंत्र से विश्वास उठ रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास सब कुछ है तथा वे अधिकारियों के इस रवैये का पूरा जवाब देंगे। अगर उन्हें और तंग परेशान किया जाने लगा तो वे अपने हक एवं इंसाफ के लिए भूख हड़ताल पर बैठने से भी परहेज नहीं करेंगे तथा जहां तक होगा वे यह लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं और अगर कांग्रेस के राज में कांग्रेसी कार्यकर्ता का यह हाल है तो यह सरकारी तंत्र आम जनता से किस प्रकार का व्यवहार करता होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे इस संबंधी सारा मामला अपने विधायकों एवं सरकार के समक्ष उठाएंगे तथा मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि जिन कर्मियों को पब्लिक डीलिंग नहीं करनी आती उन्हें सेवाओं से मुक्त कर दिया जाए ताकि सरकार की छवि को कोई ठेस न पहुंचे और लोगों का भी सरकारी तंत्र पर विश्वास बना रहे।

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