ब्रह्मज्ञान मनुष्य के लिए सदैवी सुख का स्रोत: महात्मा गोबिंद सिंह

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: जतिंदर प्रिंस। सतगुरू द्वारा दिया ब्रह्मज्ञान मनुष्य के लिए सदैवी सुख का स्रोत है, जो भी मनुष्य अपने जीवन में सतगुरू के संदेश को विशेषता देता है, उसका जीवन सुखमय हो जाता है। उक्त प्रवचन संत निरंकारी मंडल के प्रधान महात्मा गोबिन्द सिंह ने संत निरंकारी सत्संग भवन होशियारपुर में मुखी बहन सुभद्रा देवी का नेतृत्व में आयोजित संत समागम दौरान प्रकट किये। उन्होंने कहा कि गुरू का ज्ञान के साथ जीवन में सकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं और नाकारत्मक सोच ख़त्म हो जाती है।

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जीवन में शुक्राना करना मनुष्य सिख जाता है। मनुष्य की सोच माया से ऊपर उठ जाती है और इस निरंकार को जीवन का आधार बना कर चलता है। गुरू की मत वाला मनुष्य महान होता है। नाम धन वाला मनुष्य की सही अर्थों में शाह होता है। ब्रह्म का ज्ञान युज्ञों युज्ञों से एक ही रहा है। अलग अलग पैंगबरों ने समय समय पर रूप बदल कर यही एक ब्रह्म ज्ञान बांटा और मनुष्य को मूल्य निरंकार के साथ जोड़ा। उन्होंने कहा कि जीवन की यात्रा को तय करते हुए गुरमुख इस निरंकार का ही सहारा लेकर चलता है।

फिर सतगुरू निरंकार भी अपने भक्त की लाज रखता है। गुरसिख साकार रूप में सतगुरू के वचनों को मान कर निरंकार की भक्ति करता है। फिर ऐसे भक्तों से निरंकार भी बलिहारे जाता है। ऐसे भक्त के जीवन में सदा सुख और आनंद बने रहते हैं और इसका लोग और परलोक दोनों स्वर जाते हैं। इस से पहले मुखी बहन सुभद्रा देवी जी ने मंडल प्रधान महात्मा गोबिन्द सिंह और आई हुई संगत का धन्यवाद किया।

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