गाय भारतीय संस्कृति का आधार है: साध्वी जयंती भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में दशहरा ग्राउंड मुकेरियां में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथामृत का आयोजन किया जा रहा है कथा के चौथे दिन की शुरुआत नरेश शर्मा, दीप्ति शर्मा, किरण शर्मा, सुनील शर्मा, सुनील कुमार कतना, पूनम कतना, आदेश कतना, युवराज कतना, अश्विनी मंगल,सुमन मंगल,गौरव मंगल, भूपेंद्र कुमार एस.डी.ओ., अनु ,हरमिंदर सैनी, कुलविंदर सैनी ,ने परिवार सहित पूजन किया । कथा के चौथे दिन में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री जयंती भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन में जहां बहुत से चेतन पात्र है वही एक ऐसा भी पात्र है जिसके बिना भगवान श्री कृष्ण अधूरे हैं । वह हैं उनकी बांसुरी। जब बांसुरी बजती थी तो सभी को दीवाना कर देती थी ।प्रभु की बांसुरी भक्ति व समर्पण का प्रतीक है। इसलिए तो वह कन्हैया के हाथ का यंत्र बनी भक्ति स्वरसव त्याग का मार्ग है हमें भी संसार की आसक्ति छोडक़र प्रभु का बनना होगा। तभी जीवन का कल्याण है। कथा के कथा में वर्णन आता है कि भगवान श्रीकृष्ण गोपियों से माखन मांगते थे।

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माखन मांगने का मतलब है कि वह हमसे हमारा मन मांगते हैं ताकि जो मन संसार में बंधन का कारण है वो मुक्ति का साधन बन जाए ।कथा में गोवर्धन लीला प्रसंग भी सुनाया गया जो हमें समझाता है कि हमें अपनी प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए । प्रकृति हमारी मां है ।वो हमारे जीवन यापन के लिए हमें विभिन्न साधन प्रदान करती हैं ।मानव ने आज अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का दोहन किया है और उसे प्रदूषित कर दिया। तभी आज हमें प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। साध्वी जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का एक नाम गोपाल है। वे गोपालक है। प्रभु ने अपने जीवन में गौ सेवा को महत्त्व दिया।विडंबना का विषय है कि जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने गौ मां को अपने जीवन में इतना स्थान दिया वही श्री कृष्ण की धरती पर ग्रहों की दशा दयनीय है। यदि हम अपनी संस्कृति को बचाना चाहते हैं तो गौ को बचाना होगा। गोधन के समान इस संसार में कोई धन नहीं है। गाय सुख संपत्ति का मूल है। जो गाय के पंचगव्य का सेवन करता है वह कभी बीमार नहीं होता है।चाणक्य जी की अर्थशास्त नीति देखकर पता चलता है कि उस समय गाय की रक्षा व सम्भाल के लिए अलग अलग कानून बनाए गए थे।हमारी अर्थ व्यवस्था व सामाजिक व्यवस्था का आधार गाय थी। जिस कारण से पुरातन काल में गाय को कामधेनु का दर्जा प्राप्त हुआ उसे माता पूजा की जाती है इसलिए उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य हैं।

गाय भारतीय संस्कृति का आधार है कथा में साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों का गायन किया। कथा समागम के भाव विभोर श्रद्धालुओं का सैलाब प्रतिदिन इतना इन कथा का प्रवचनों का श्रवण करने के लिए उमड़ रहा व कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती से साथ हुआ। आरती में विशेष रूप से सातवीं रुकमणी भारती,स्वामी सज्जनानंद जी,दिनेश मैट्रिक्स सलून,कृष्ण लाल राइस ब्रान, ज्योति पुरी देवा जी,डॉक्टर गुरुदयाल, डॉक्टर अमरजीत कौर, डा. सौरभ, विकास मनकोटिया, सुरेश मेहता, अजय गोरा, प्रितपाल काली, राजेश कुमार वर्मा बीजेपी मंडल प्रधान मुकेरिया, कैप्टन सोहन लाल पैंथे, सुभाष चंद्र पत्रकार दैनिक सवेरा, सचिन कुमार पत्रकार दैनिक जागरण, सागर शर्मा पत्रकार पंजाब केसरी,राकेश राणा राजदार टाइम्स, धर्म चंद दैनिक सवेरा टीवी जालंधर खबरनामा न्यूज़ चेनल, बलविंदर सिंह किसान सेवा केंद्र, सुमन राणा सरपंच,अश्विनी विशनपुर से,मानी महेश लंगर सेवा के सभी सदस्य, विजय सिंह,अनूप महाजन,रीना साहनी, सरोज सैनी,पंडित ब्रिज नंदन जंडवाल से,पार्षद बंटी साहनी ओर धर्मपत्नी,दर्शन लाल,राज रानी, सतपाल जी वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट से,प्रोफेसर प्रमोद ठाकुर ,अनिता कुमारी टीचर, दिनेश कुमार ,हरगोविंद सोसायटी दसूया के सभी सदस्य, श्रेष्टा बीजेपी अशोक शर्मा और भी श्रद्धालगणु मौजूद थे।

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