हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। स्वामी विवेकानंद शिक्षा महाविद्यालय तरक्वाड़ी में विषय अनुच्छेद 370 व 35ए पर गेस्ट लेक्चर का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में केंद्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष रहे, भाजपा युवा मोर्चा में प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय सचिव रहे, प्रदेश भाजपा सह मीडिया प्रभारी नरेंद्र अत्री ने बतौर मुख्य वक्ता भाग लिया । नरेंद्र अत्री ने प्रशिक्षु अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा की अनुच्छेद 370 वह 35-ए समाप्त होने से राष्ट्र के उन महान सपूतों की शहादत का सम्मान हुआ है जो लगभग 70 वर्ष पहले से इसे खत्म करने की मांग कर रहे थे। नरेंद्र अत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा भीमराव अंबेडकर, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान सपूतों का जिक्र करते हुए कहा कि इन महान सपूतों समेत करोड़ों राष्ट्रभक्त ऐसे थे जो जीवन भर अनुच्छेद 370 एवं 35 ए का विरोध करते रहे, क्योंकि इसी अनुच्छेद के कारण एक राष्ट्र में 2 संविधान व दो निशान चल रहे थे ।
अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इसे समाप्त करके राष्ट्र की एकता अखंडता के प्रति अपनी वचनबद्धता को दर्शाया है, एवं राष्ट्र के करोड़ों देशभक्तों की भावनाओं का सम्मान किया है। नरेंद्र अत्री ने ने हैरानी जताते हुए कहा कि अभी भी राष्ट्र में कुछ ऐसे भी लोग मौजूद हैं जिनको अनुच्छेद 370 एवं 35 ए समाप्त होने से बहुत पीड़ा पहुंची है, व वो अनुच्छेद 370 35 ए समाप्त करने का विरोध कर रहे हैं ।नरेंद्र अत्री ने प्रशिक्षु अध्यापकों से आह्वान करते हुए कहा कि वह अपनी शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण विषय का अध्ययन करके इसके बारे में समाज के विभिन्न वर्गों में जागरूकता लाएं ताकि राष्ट्र विरोधी ताकते भ्रामकता ना फैला सकें।
इस मौके पर महाविद्यालय के चेयरमैन एनके शर्मा ने भी अपने विचार रखे व युवाओं से राष्ट्र के प्रति जिम्मेवारी पूर्वक भूमिका अदा करने का आह्वान किया। इससे पहले महाविद्यालय पहुंचने पर महाविद्यालय चेयरमैन एनके शर्मा महाविद्यालय के प्रिंसिपल डा. कुलदीप चंदेल व अन्य स्टाफ के सदस्यों ने नरेंद्र अत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर नरेश राणा, अनिल परमार, अजय शर्मा, कमलेश वर्मा, वर्षा चौहान स्टाफ के साथ-साथ 100 से अधिक प्रशिक्षु शिक्षक मौजूद रहे।