मैं टिप्पर वाला बोल रहा हूं, थानेदार साहिब आपका प्लाट कहां है मिट्टी फेंकनी थी, मेरा प्लाट?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कुछ ऐसी बातें अकसर ही किसी न किसी की जुबान से फिसल कर चर्चा का विषय बन जाती हैं और वे चर्चा बेकार चर्चा नहीं होती बल्कि कई बार तो उस चर्चा में बेइमान व्यक्ति, अधिकारी या कर्मचारी का ऐसा सच छिपा होता है जिसका खामियाजा किसी और को भुगतने को मजबूर होना पड़ता है।

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लालाजी स्टैलर की चुटकी

होशियारपुर पुलिस विभाग के एक तीन तारा थानेदार से जुड़ी ऐसी ही एक चर्चा इन दिनों काफी सुर्खियां बटौर रही है। चर्चा है कि होशियारपुर में कुछ समय पहले कंधे पर थ्री स्टार वाले थानेदार ने टू-स्टार थानेदार के नाम पर माइनिंग वालों से खूब चांदी बटौरी और वे व उसके साथ तैनात कर्मचारी खूब मालामाल हुए। टिप्पर ट्रालियों से हफ्ता नहीं बल्कि दिन भर में कितने चक्कर लगाए इस हिसाब से पैसा लेने वाले यह थ्री स्टार इंस्पैक्टर की तूती इतनी बोलती थी कि जनाब नाके पर गाड़ी से उतरना भी मुनासिब नहीं समझते थे, क्योंकि अगर गाड़ी से उतरते तो इनका चेहरा सार्वजनिक हो जाता तथा लोगों को पता चल जाता कि यह तो किसी थाने का थानेदार है ही नहीं। खैर जनाब के दिन सीधे थे तो इन्होंने टू-स्टार थानेदार के नाम पर खूब पैसे बटौरे और बदनामी उनकी झोली में डाल दी।

इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब थ्री स्टार थानेदार द्वारा ऊना रोड पर शायद बजवाड़ा के समीप एक प्लाट खरीदा गया और वहां पर भर्ती डालने का कार्य प्रगति पर चलने लगा। मैं नहीं कहता सूत्र कहते हैं हालांकि वे सारा कार्य बगार पर ही करवाया गया। अरे भाई हैरान न हो, जिसका नाम और डंडा चलता हो उसका काम भी पैसे देकर हुआ तो फिर पॉवर का क्या लाभ। खैर जनाब के प्लाट पर भर्ती का काम चल रहा था तो एक रात जो उस इलाके का असली थानेदार था उसे एक फोन आया कि साहिब मैं टिप्पर वाला बोल रहा हूं आपका प्लाट कहां है, मैं भर्ती डालने आया हूं, मुझे प्लाट नहीं मिल रहा। साहिब जोकि टू-स्टार वाले थानेदार थे सोच में पड़ गए कि भाई मैंने तो आजतक कोई प्लाट ही नहीं खरीदा तो यह भर्ती कहां पर डालने आया है। जब वह हैरान होकर पूछने लगे तो ड्राइवर ने पूछा कि आप फलां थाने के थानेदार नहीं बोल रहे तो उन्होंने कहा कि मैं बोल तो थानेदार ही रहा हूं पर मेरा कोई प्लाट नहीं है। इस पर टिप्पर वाले ने कहा कि आप नहीं बड़े साहिब जिनके कंधे पर तीन स्टार लगे हैं। यह सुनते ही थाना प्रभारी के पैरों तले जमाीन खिस्क गई और उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि दाल में कुछ काला है व उनके नाम का कोई और गलत इस्तेमाल कर रहा है। खैर वो बात तो खत्म हो गई, मगर एकाध दिन बाद ही पता चल गया कि तीन स्टार वाला थानेदार जिसकी स्पैशल ड्यूटी लगी हुई थी उनके इलाके में नाकाबंदी करके कालाबाजारी का काम कर रहे हैं और बदनामी उनकी हो रही है।

अब चर्चा उठी तो इसकी तपिश हमारे तक भी पहुंची। जब हमें इस बात का पता चला तो हमने अपने स्तर पर भी क्रास चैकिंग की और सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली उसे सुनकर किसी फिल्म के भ्रष्टाचारी पुलिस अधिकारी का चेहरा सामने आ गया। जो, खुद को सच्चा और सच्चे को झूठा साबित करके अपनी तिजोरी भरता रहता है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार हमें यह भी पता चला कि तीन तारों वाले थानेदार कभी इस इलाके के थाने का प्रभारी भी रह चुका था और उसे इलाके की सारी जानकारी होने के कारण उसे सारा ज्ञान था कि माइनिंग से जुड़े तथ्य क्या हैं और कैसे चांदी बटौरी जा सकती है। खैर उसने ऐसा ही किया और बदनामी एक ऐसी कर्मचारी को मिली जिसने सेहत खराब होने के बावजूद पुलिस विभाग के प्रति अपने फर्ज में कोई कमी नहीं आने दी।

मगर, जैसा कि आप सब जानते हैं यहां सच्चा है कंगाल तो बेईमान है मालामाल, कि पैसा बोलता है, कि पैसा बोलता है. . .आगे आप खुद समझदार हैं और समझ ही गए होंगे कि हम किस थ्री स्टार वाले थानेदार साहिब की बात कर रहे हैं और न समझें हों तो हम यह भी बता देते हैं कि कुछ समय पहले उसे स्पैशल ड्यूटी से भी बदला जा चुका है और वह जल्द ही सेवामुक्त भी होने वाला है व बच्चे भी विदेश में अच्छे खासे सैटल हैं। तौबा-तौबा-तौबा फिर भी लालच छी. . . वैसे एक बात है जब ऐसा कोई अधिकारी या कर्मचारी सेवामुक्त होने वाला होता है न तो वह कितना भी भ्रष्टाचारी रहा हो कुछ माह के लिए सुधर ही जाता है ताकि सेवामुक्ति के बाद उसे कोई तंगी पेश न आए और विभाग में उसका मान सम्मान भी बना रहे। अरे कहां चले, भाई साहिब एक बात तो सुनते जाओ… अब इसका तीन तारे वाले का क्या करना है यह तो विभाग ही जाने पर, कहते हैं लालच बुरी बला और कुछ तो भगवान से डरो यार। हमने कहना था सो कह दिया, अब आगे. . . यह तो खुद जानते हैं कि आगे.. . मुझे दें इजाजत. . .जय राम जी की।

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