शाम चौरासी (द स्टैलर न्यूज़)। दलित भाईचारे की बैठक शाम चौरासी में अवतार बसरा की अगुवाई में की गई। जिसमे संगरूर जिले के गांव चंगालीवाला के गरीब दलित नौजवान जगमेल सिंह जग्गा से अमानवता से अत्याचार करने की कड़ी निंदा करते हुए विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसा तभी होता है जब सरकार किसी को खुली छूट दे वरना कोई ऐसी गिरी हुई तथा इतनी घिनौनी हरकत करने का साहस नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत ही हुआ है। जिसमे गरीब नौजवान का इस्तेमाल किया गया है।
उन्होंने कहा कि जगमेल सिंह जग्गा को गुरु की मानवतावादी सोच के विपरीत इन जाती के अहंकारी जालिमों द्वारा पहले जग्गा को लोहे की राडों से मारा गया उसके बाद करीब 3 घंटे तक उसके टांगों में राडों से वार करने के बाद उसकी टांगों पर पेट्रोल छिडक़कर उसके मांस को प्लास से खींचा गया। जब अत्याचार की हद पार हो गई तो जग्गा ने तड़पते हुए पानी मांगा तो आरोपियों द्वारा घिनौनी हरकत करते हुए उसे मूत्र पिलाया। उन्होंने बताया कि यह मामला जब समाज के कुछ लोगों के ध्यान में आया तो उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया। पुलिस द्वारा तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा एक अभी फरार है।
उन्होंने बताया कि घायल गुरमेल इतना गरीब था कि उसके पास इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं थे। समाज के लोगों द्वारा प्रशाशन पर जोर डालने उपरांत उसे संगरूर अस्पताल से पटियाला अस्पताल रेफर किया गया जहाँ से उसको पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। जहां डाक्टरों द्वारा उसकी दोनों टांगे काटनी पड़ी। जिससे दर्द न सह पाने से उसकी मौत हो गई। गुरमेल सिंह जग्गा की मौत हो चूकी है परन्तु समाज और देश के लिए कई सवाल छोड़ गया है, जिसका जवाव समाज के सभी वर्गों के देना चाहिए।
दलित समाज के नेताओं ने लोगों से अपील की है कि गुरमेल कांड जैसा दोबारा किसी के साथ न हो इसके लिए सभी को मिलकर विरोध कर ऐसे अहंकारी लोगों को देश और कानून का डर दिखाना पड़ेगा। इस अवसर पर मिशनरी साथी अवतार बसरा, हैप्पी फंबियां, कौशल फंबियां, अवतार फंबियां, रणदीप सिद्धू आदमपुर, मनप्रीत मंत्र आदमपुर, सोनू बसरा, लड्डू मंडेरा, रिंकू बडाला, हाजी जलाला, राजू जलाला, राजू जलभे, सोनू सफीपुर, जसवीर पंडोरी, कुलविंदर किन्दा भेला, नवी खुडिय़ाल, विक्की, नरेश जेहापुर, हरकेश कौर, सोनू फंबियां, बंटी शाम चौरासी, भीम शाम चौरासी, मंजित जस्सी तलवंडी, दीपक मट्टू, रिंकू थापर, अश्वनी कठार, अशोक माहे, गगन कठार, मलकीत बडाला माही के अलावा बड़ी संख्या में दलित समाज मौजूद था।