गुरू के दर्शाए मार्ग पर चलकर ही प्राप्त होता है मोक्ष: चंद्र मोहन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। गुरु ही जीवन का मार्गदर्शक होता है, उसके दिखाए रास्ते पर चलकर ही हम मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। उक्त बात योगाचार्य चंद्र मोहन जी ने आज योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में प्रवचन करते कही। उन्होंने कहा कि गुरु ही संसार के अंधेरे से शिष्य को बाहर निकाल सकता है। हम साभी मनुष्य जीवन को व्यतीत तो कर रहे हैं लेकिन अपने लक्ष्य की तरफ नहीं जा रहे। भगवान ने हमें मानव जीवन इसलिए दिया है ताकि हम इसमें साधना करके तथा भक्ति करके मोक्ष प्राप्त कर सके, उन्होंने कहा कि जो लोग इस मार्ग पर नहीं चलते वह आवागमन के चक्कर में भटकते रहते हैं। उन्होंने कहा कि योग का अर्थ ही प्रभु के साथ युक्त होना है।

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इसके बिना व्यक्ति को यह समझ ही नहीं आता कि उसका असली मार्ग क्या है। मोक्ष प्राप्ति के लिए भक्ति पर चलना चाहिए तथा इसके लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है। संसार के चाहे सारे रिश्ते टूट जाएं लेकिन भक्ति का मार्ग नहीं छूटना चाहिए। हमारी आस्था प्रभु के प्रति कमजोर नहीं होनी चाहिए। संसार की माया हमें अपनी तरफ खींचती है और हम उसमें इतने लीन हो जाते हैं कि भगवान को भूल जाते हैं। इसलिए हम प्रभु को प्राप्त करने का प्रयास भी अधूरा ही करते हैं। अगर हमें कोई तनक सी बुरी बात कह दे तो हम सारा कुछ भूल कर उसको बुरा भला कहने लग जाते हैं। हमारी तामसिक प्रवृतियां हावी हो जाती हैं।

हम चाहते हैं कि हमारे जीवन में कभी कोई दुख न आए। लेकिन दुख सुख जीवन का अंग है। व्याधि के कारण हमें रोग भी मिलते हैं। संसार में कई तरह के रोगों से व्यक्ति जूझता रहता है। हम सांसारिक दुखों से घिरे रहते हैं। दुखों के चलते व्यक्ति भगवान की तरफ ध्यान नहीं लगा पाता। आज सारा संसार योग को अपनाने लगा है। योग पर चलकर ही हम अपने शरीर को रोगमुक्त रख सकते हैं। हम कई बार साधना भी करते हैं पर फिर भी व्याधिय हमें घेर लेती हैं। शारीरिक दुखों के लिए तो साधन करके हम छुटकारा पा सकते हैं, पर मन, चित्त व आत्मा कभी नहीं बदलते।

भगवान जब हमें संसार में भेजते हैं तो कई बार पिछले जन्मों का हिसाब करके उस कर्मों के फल को भी हमें भुगतना पड़ता है। लेकिन यह हमारे बस में होता है कि हम उन कर्मों को अच्छा कर्म बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्ति का एकमात्र साधन गुरु के प्रति श्रद्धा होना है। लेकिन आज लोग दुनिया की बातों को अधिक अधिमान देते हैं तथा भक्ति को पीछे छोड़ देते हैं। यही कारण है कि व्यक्ति आवागमन के चक्कर में लगा रहता है। इससे पहले भक्तों ने “जिना दिया नीतां सच्चियां सतगुरु ओन्ना नू मिल दे” भजन गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में भजन आरती के उपरांत प्रसाद वितरित किया गया।

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