‘अकेला ही चला था मैं, जानिबे मंजिल, मगर लोग साथ आते गए और काफिला बनता गया’

चब्बेवाल (द स्टैलर न्यूज़)। मजरुर सुलतानपुरी के इस कलाम को आज हकीकत रुप में देखा गया जब गांव बस्सी दौलत खा से थोड़े से साथियों के साथ शुरु हुए डोर-टू-डोर पैदल मार्च में डा. राज के साथ धीरे-धीरे इतने लोग जुड़ गए कि कैंपेन ने एक जन सैलाब का रुप धारण कर लिया। जो भी मिला पैदल मार्च के साथ हो लिया तथा इसने यह दर्शा दिया कि लोग डा. राज कुमार के निमन व्यक्तित्व, उनकी विचारधारा तथा हलके के साथ उनका जुड़ाव से कितने प्रभावित हैं। इस मार्च में लोगों के उत्साह व सम्मान देने से डा. राज की जीत पर पक्की मोहर लगा दी है। यह मार्च बस्सी दौलत खां, अत्तोवाल, डविंडा अहिराण के अलावा अलग-अलग गांवों तथा बाजारों से होकर गुजरा।

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