चंबा विकास खंड के स्कूलों का हाल: कहीं, कक्षा मेेंं बन रहा मिड-डे-मील, तो कहीं बिजली का इंतजार

देहरादून ( द स्टैलर न्यूज़), विशेष रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। बेशक सरकार सरकारी स्कूलों को बेहतर सुविधाएँ देने में कोई कमी शेष नहीं रख रही लेकिन टिहरी जिला के चंबा विकास खंड के प्राथमिक स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं है। सच्चाई यह है कि कहीं क्लासरूम में मिड डे मील तैयार किया जा रहा है तो कहीं अभी भी बिजली का इंतज़ार हो रहा रहा है।

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मिली जानकारी अनुसार चंबा-मंसूरी मार्ग पर स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला नागराजाधार का स्कूल भवन अगस्त, 2018 में गिर गया था। शिक्षा के लिए बच्चों को कभी पंचायत घर तो कभी मंदिर में शरण लेनी पड़ती है। नया भवन तो क्या बनना, अभी तक गिरे हुए भवन का मलवा तक नहीं उठाया जा सका।

क्षेत्रीय परिषद कखवाड़ी के सदस्य नरेंद्र चंद्र रमोला की पहल पर कऱीब 4 लाख के बजट से एक छोटे कमरे का निर्माण तो हुआ था जिसमें 5 कक्षाएँ एक साथ चल रही हैं।

वहीं, राजकीय प्राथमिक पाठशाला मँजयाड़ गाँव की मिड-डे-मील रसोई टूट चुकी है। मजबूरन खाना क्लासरूम में ही बनाना पड़ रहा है। कक्षाओं के कमरे भी सुरक्षित नहीं हैं। छतों से पलस्तर टूट कर गिर रहा है, जिससे कभी भी छत गिरने का डर लगा रहता है।

अपग्रेड किए गये राजकीय उच्च पाठशाला ज़ाख में तो बारे ही न्यारे दिखे। यहाँ टीन के शेड में क्लासरूम बना दिए गये। हालत यह है कि अपग्रेड हुए स्कूल में केवल तीन एडमिशन हुई। जब टीन के शेड क्यों बनाए जाने संबंधी पूछा गया तो, इस बारे किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

सन् 1928 से चल रहे राजकीय प्राथमिक पाठशाला तुंगोली में आज तक बिजली ही नहीं पहुंच पाई है। स्कूल प्रबंधन ने 2012 में बिजली का मीटर लगवाने के लिए 3 हज़ार रुपए का ड्राफ़्ट भी जमा करवा दिया था,

लेकिन स्कूल में बिजली का इंतज़ार आज भी किया जा रहा है। बिना बिजली के स्मार्ट क्लास रूम और बायोमिट्रिक मशीनों से लगने वाली हाजिरी पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है।

इस बारे में विद्युत विभाग चंबा के सहायक अभियंता एस.एस.राणा का मानना है कि कुछ स्कूलों में निर्धारित धन के साथ आवेदन के बावजूद बिजली नहीं पहुँच पाई है। उन्होंने कहा कि ऐसा स्कूल से विद्युत पोल की दूरी के कारण हो रहा है। नियमों के तहत स्कूल को ही 40 मीटर से अधिक दूरी की तार व पोल का ख़र्च उठाना पड़ेगा।

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