जमीन घोटाला: अकाली नेता ढट्ट, जौहल, लाडी, एस.डी.एम. आनंद सागर शर्मा सहित 13 लोगों पर मामला दर्ज

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। किसानों के हकों की बात करने वाली बादल सरकार के राज में अकाली नेताओं द्वारा मिलीभगत करके किए गए 100 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले की तपश एक बार फिर से तेज हो गई है। विजीलैंस विभाग ने जालंधर-होशियारपुर-चिंतपूर्णी फोर लेन मार्ग के तहत पड़ते सिंगड़ीवाला बाईपास जमीन घोटाले में (बाईपास के लिए भूमि अधिग्रहण) जांच करने उपरांत तीन अकाली नेताओं, अधिकारियों सहित 13 लोगों पर मामला दर्ज कर लिया है। इसकी खबर मिलने पर जहां अकाली नेता अंडर ग्राउंड हो चुके हैं वहीं अधिकारी वर्ग में भी खलबली मची हुई है।
पिछले साल जून माह फोरलेन संबंधी बाईपास का नोटिफीकेशन हो जाने के उपरांत किसानों से सस्ते भाव जमीनें लेकर सरकार को महंगे भाव बेचने का मामला प्रकाश में आया था। इस संबंधी उस दौरान मुख्यमंत्री ने एस.टी.आई. गठित करके मामले की जांच के आदेश दिए थे तथा इस संबंधी 6 सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। परन्तु चुनाव के चलते इस जांच को दबा दिया गया था तथा अब जबकि चुनाव संपन्न हो चुके हैं तो मामले में कार्रवाई करते हुए विजीलैंस विभाग ने तत्कालीन एस.डी.एम. आनंद सागर शर्मा, तहसीलदार बलजिंदर सिंह, नायब तहसीलदार मनजीत सिंह, पटवाली दलजीत सिंह, परमिंदर सिंह, क्लर्क संदीप कुमार, रजिस्ट्री क्लर्क सुखविंदर सिंह सोढी, देवी दास, मार्किट कमेटी के चेयरमैन अवतार सिंह जौहल, सहकारी बैंक होशियारपुर के चेयरमैन सतविंदरपाल सिंह ढट्ट, अकाली पार्षद हरपिंदर सिंह लाडी, जसविंदर सिंह, व्यवसायी प्रतीक गुप्ता (कुल 13 लोगों) पर मामला दर्ज कर अगली कार्रवाई शुरु कर दी है।
पिछले वर्ष 2016 के जून माह में आर.टी.आई. एक्टिविस्ट राजीव वशिष्ट द्वारा इस मामले का पर्दाफाश किया गया था। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच 6 सप्ताह में पूरी करने के आदेश दिए गए थे। इसी दौरान चुनावी वर्ष होने के चलते इस मामले को छेड़ा नहीं गया। 4 फरवरी 2017 को चुनाव होने के तुरंत बाद ही विजीलैंस ने इस संबंधी कार्रवाई शुरु करते हुए 10 फरवरी को विजीलैंस ब्यूरो लुधियाना ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरु कर दी है।

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किसानों से ली 30 हजार प्रति मरला और 10 लाख से भी अधिक में सरकार को बेची

पिछले साल जून माह में जब यह मामला प्रकाश में आया तो अपने सरकारी प्रभाव के कारण जहां अकाली नेताओं ने इस मामले में पैरों पर पानी नहीं पडऩे दिया वहीं अधिकारियों का तुरंत तबादला हो जाने से अधिकारी वर्ग व अन्य आरोपी भी खुद को पाक साफ ही समझ रहे थे। परन्तु अब मामला दर्ज हो जाने के बाद एक बार फिर से इस मामले के जख्म हरे होते दिखाई देने लगे हैं।

एस.आई.टी. इन अधिकारियों पर थी आधारित

मामले की जांच विजीलैंस ब्यूरो के डी.आई.जी. शिव कुमार वर्मा, एस.एस.पी. रुपिंदर सिंह, एस.पी. परवीन कांडा पर आधारित एस.आई.टी. ने की है।

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