विदेशों में भी चखी जाती है तरसेम सिंह की बनाई गई फ्लेवर्ड गुड़ कैंडी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: संदीप डोगरा। होशियारपुर के गांव नीला नलोआ के 70 वर्षीय प्रगतिशील किसान तरसेम सिंह अपनी प्रगतिशील सोच के कारण आज अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए है। रसायन मुक्त कृषि कर वे जहां पंजाब सरकार के मिशन तंदुरु स्त पंजाब की सार्थकता पर खरे उतर रहे हैं वहीं उन्नत कृषि को भी परिभाषित कर रहे हैं। कृषि में बदलाव के साथ-साथ उन्होंने सहायक धंधों को भी अपना कर किसानों को प्रेरित किया है। उनकी बनाई गई फ्लेवर्ड गुड़ कैंडी पंजाब के साथ-साथ विदेशों में भी काफी मशहूर है। इस प्रगतिशील किसान को जिला प्रशासन की ओर से गणतंत्र दिवस पर पंजाब विधान सभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह की ओर से प्रशंसा पत्र भी दिलवाया गया है।

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जिलाधीश की ओर से प्रगतिशील किसान की प्रशंसा, रसायन मुक्त पैदा किए गए गन्ने से बनाई जाती है गुड़ व शक्कर

जिलाधीश ईशा कालिया ने प्रगतिशील किसान किसान तरसेम सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि मौजूदा समय में रसायन मुक्त कृषि के साथ-साथ कृषि में बदलाव समय की मुख्य जरु रत है और तरसेम सिंह जैसे किसान अन्य किसानों के लिए भी मार्ग दर्शन का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से भी रसायन मुक्त खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए रोशन ग्राउंड होशियारपुर में सेफ मंडी स्थापित की गई है। उन्होंने किसानों को फसली चक्र से निकलकर वैकिल्पक खेती करने व अधिक से अधिक सहायक धंधे अपनाने की अपील भी की, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके। उन्होंने किसानों को कृषि विभाग की सिफारिशों के अनुसार ही खादों व कीट नाशकों का प्रयोग करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से प्रगतिशील किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए हर रविवार रोशन ग्राउंड में लगने वाली सेफ फूड मंडी काफी सहायक साबित होगी। उन्होंने कहा कि सर्टिफाइड किसान इस मंडी में अपने फल, सब्जियां व अन्य वस्तुएं कृषि विभाग से संपर्क कर बेच सकते हैं।

 ड्रिप इरीगेशन तकनीक से पानी की बचत कर वातावरण हितैषी होने का दिया जा रहा है सबूत

उधर वर्ष 2008 में रिटायर हुए प्रिंसिपल तरसेम सिंह ने अपनी रिटायरमेंट के बाद सारा समय जैविक खेती को समर्पित कर दिया है और उनके इस मिशन में उनका पूरा परिवार शामिल है। आज वे अपने संयुक्त परिवार के साथ 17 एकड़ में रसानमुक्त कृषि कर रहे हैं जिनमें उनकी पत्नी, भाई व भाभी भी शामिल है। उन्होंने अभी तक अपने खेतों में कभी भी फसलों के अवशेषों को आग नहीं लगाई है। तरसेम सिंह हर मौसमी फल, सब्जी, दालों के अलावा गुड़ व शक्कर का उत्पादन भी करते हैं। वे जहां मधुमक्खी पालन में अपना हाथ आजमा रहे है वहीं उन्होंने पशु पालन को भी अपनाया है। उनके पास 15 दुधारु पशु भी हैं। उनके बेलने का गुड़ व शक्कर के अलावा गुड़ कैंडी न सिर्फ पंजाब बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। इनके बनाए गुड़ व शक्कर की खासियत यह है कि वे अपने खेतों में लगे गन्ने से ही गुड़ व शक्कर बनाते हैं, जो कि बिना किसी रसायनिक खाद के पैदा हुआ है। दूर-दराज से लोग इनके यहां गुड़ व शक्कर खरीदने आते हैं। तरसेम सिंह के पास आंवला, मैरिंगा, सौंफ, अदरक, हल्दी आदि फ्लेवर की गुड़ कैंडी उपलब्ध है जिनकी बाजार में काफी डिमांड भी है।


तरसेम सिंह ने बताया कि वे उस फसल को ज्यादा प्राथमिकता देते हंै जिनमें पानी की कम जरु रत पड़ती है, इसके लिए वे ड्रिप इरीगेशन को इस्तेमाल में लाते हैं ताकि फसल को ज्यादा पानी की जरु रत न पड़े। उन्होंने कहा कि वे दालों में माह, मसूर, काले चने, मूंगी के अलावा ब्लैक राइस, अदरक व हर मौसमी सब्जी भी उगाते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने बनाए गए उत्पादों की मार्केटिंग भी स्वयं करते हैं, जिसके लिए सप्ताह में एक दिन जालंधर मंडी होशियारपुर में आत्मा किसान हट, सेफ फूड मंडी, चंडीगढ़ आदि भी जाते हैं। उत्तम क्वालिटी व रसायन मुक्त उत्पाद होने के कारण लोग स्वयं ही उनके खेतों व बेलने से उनके उत्पाद खरीद लेते हैं।

तरसेम सिंह बताते हैं कि वे औसतन एक माह में 15 क्विंटल गुड़ बना लेते हैं जो कि लोग हाथों हाथ ही खरीद लेते हैं। उन्होंने कहा कि खाद के तौर पर वे अपने फसल में देसी गाय के मल मूत्र से बनी खाद जिसे जीव अमृत का नाम दिया है का प्रयोग करते हैं। तरसेम सिंह ने बताया कि उनके इस कार्य के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, खेती विरासत मिशन, इनोवेटिव फार्मस एसोसिएशन व अन्य संस्थाओं की ओर से भी उन्हें सम्मानित किया गया है वहीं पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन से भी उन्हें मान्यता मिली हुई है।

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