सुविधा सेंटरों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए प्रशासन, किए जाएं बंद: ब्रह्मशंकर जिम्पा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। प्रदेश में सरकार द्वारा कोरोना वायरस से जनता को बचाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं तथा सार्वजनिक स्थलों पर लोगों की भीड़ को कम करने के लिए कई अहम फैसले भी लिए गए हैं। लेकिन जिला प्रशासन कई स्थानों पर भीड़ को कम करने के लिए किसी भी तरह का ठोस कदम उठाना जरुरी नहीं समझ रहा। जिसके चलते लोगों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। यह अच्छी बात है कि मॉल, सिनेमा हाल, जिम, स्विमिंग हाल तथा यातायात को बंद किया गया है। लेकिन सुविधा सैंटरों में भीड़ कम करने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

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इसलिए सुविधा सैंटरों में भीड़ कम करने हेतु भी कदम उठाए जाने चाहिए। यह बात जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व पार्षद ब्रह्मशंकर जिम्पा ने सुविधा सैंटर में काम करवाने आने वाले लोगों की भीड़ को देखते हुए कोरोना वायरस के खतरे को रोकने के लिए कदम उठाए जाने की मांग करते हुए कही। श्री जिम्पा ने कहा कि सुविधा सैंटरों में मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाने वाले लोगों का काफी तांता रहता है तथा कई लोग ऐसे होते हैं जो विदेश से आए होते हैं या उन्हें विदेश जाने की जल्दी है। ऐसे में वहां की स्थिति और भी खतरनाक तब बन जाती है जब कोई विदेश से आया हुआ व्यक्ति वहां पहुंचे व भगवान न करे अगर उसे कोई वायरस हो तो दूसरों को भी इसका खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि सुविधा सैंटर में लोग बुजुर्गों और बच्चों को साथ लेकर आते हैं तथा ऐसे में वहां पर इतनी भीड़ हो जाती है कि लोग चाह कर भी हिदायतों का पालन नहीं कर पाते व एक दूसरे के संपर्क में आने पर वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

इसलिए जिला प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए तथा कुछ दिनों के लिए इन सैंटरों पर भी रोक लगा देनी चाहिए। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस का प्रकोप विश्व भर मं बढ़ा है तथा ऐसे में अधिकारियों को अपने कार्यालय छोड़ शहर और कस्बों में घूमकर स्थिति का खुद जायजा लेना चाहिए ताकि पेश आ रही कमियां दूर हो सकें व उन्हें जमीनी हकीकत की सही जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि लेकिन दुख की बात है कि अधिकारी वर्ग बैठकों में ही इतने व्यस्त हैं कि उनके पास शहर व कस्बों में जाने का समय ही नहीं है। अधिकारी वर्ग बैठकें करके और अपने निम्न कर्मियों को निर्देश जारी करके अपने फर्ज की इतिश्री करने में व्यस्त हैं, जिससे कर्मियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है तथा वे मानसिक तौर पर काफी परेशान हो रहे हैं। इसलिए अगर अधिकारी वर्ग भी कार्यालयों से निकलकर जनता के बीच पहुंचकर कार्य करेंगे तो जनता को समझाना और अफवाहों पर लगाम लगाना आसान होगा।

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