स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग के अस्थाई कर्मचारियों ने बूट पालिश कर जताया रोष

जम्मू/ राजौरी(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग में अस्थायी तौर पर कार्यरत पढ़े लिखे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है सरकार की अनदेखी के चले इन लोगों का भविष्य अंधकार में ढल रहा है जिसका जिम्मेदार सरकार है। हम लोगों के पास एक्सपीरियंस भी है। मौजूदा प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर में बेरोजगारी को दूर करने व पढ़े लिखे युवाओं का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए बड़े बड़े वायदे किए थे। लेकिन पढ़े लिखे युवाओं के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। पहले अस्थायी लोगों को पर्मानेंट करो फिर भर्ती की नेई सूची निकालों। पढ़े लिखे युवाओं ने कहा कहना है कि जे एंड के बेरोजगारी को दूर करना प्रधानमंत्री मंत्री मोदी व राज्यपाल की जिम्मेदारी है। हमारा पढऩा बेकार है, हम डिग्रियां फाड़ देते हैं।

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कहा मोदी जी डिग्रियों को फाड़ दें, बूट पालिश पांच रुपये जताया रोष

स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग में जो भी अस्थायी तौर पर कर्मी कार्यरत हैं उन्हें जल्द से जल्द स्थायी किया जाए। बेशक हमें वेतन कम दिया जाए। नहीं तो पढऩे- लिखने का क्या फायदा। सरकार से पूछना चाहते है क्या डिग्रियां हम फूंक दे क्या। बता दें कि पढ़े लिखे बेरोजगार लोग पक्की नोकरी की आस में तनाव ग्रस्त हो चुके है । जिनके पास कच्ची नौकरी थी जम्मू कश्मीर सरकार वह भी छीन रही है। उधर जम्मू कश्मीर बैंक की नोकरी आस लगाने बाले युवा तंग है। क्योंकि आला अधिकारियों व पूर्व राज्यपाल की अंदरूनी चाल के चलते परीक्षा रदद् हो गई। पढ़े लिखे युवा हर जगह पीसे जा रहे हैं। सरकारी कॉलेजों में पिछले आठ, दस बीस सालों से अस्थायी तौर पर (कॉन्ट्रैक्चुअल) लेक्चरर कार्यरत है वह भी अपने भविष्य को लेकर काफी परेशान है और सरकार द्वारा स्थायी नहीं करने पर वह भी मानसिक तनाव से ग्रस्त हो चुके हैं। पढ़े लिखे युवाओं ने कहा कि मां बाप ने लाखों रुपए खर्च कर मेहनत से पढ़ाया था उन्हें क्या मिला। हमारी समस्या को जल्द दूर नहीं किया गया तो हम डिग्रियां फाड़ देंगे जिसका जिम्मेदार सरकार व संबंधित विभाग होगा।

वहीं जीएमसी अस्पताल राजौरी में अस्थायी तौर पर कार्यरत कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने पर नर्सिंग स्टाफ पिछले एक माह से रोष जता रहे हैं। आज उन्होंने जीएमसी राजौरी के बाहर बैठ आने जाने बाले लोगों व पर्मानेंट स्टाफ के साथ डॉक्टरों के बूट मात्र पांच रुपये में पालिश किए। और लोगों ने अफसोस जाहिर किया कि पढ़े लिखे बच्चे दर दर की ठोकरें खा रहे है और सरकार व प्रशासन समस्या को दूर करने को गंभीर नहीं है। नौकरी से निकालने जाने पर मेल-फीमेल नर्स स्टाफ ने सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोग करीब एक महीने से भी ज्यादा समय से हक मांग रहे हैं। हमारी कोई नहीं सुनने बाला। प्रदर्शनकारी नर्सिंग स्टाफ ने आरोप लगाया कि जीएमसी राजौरी के प्रशासन ने उन्हें नौकरी से निकाल कर उनका भविष्य अंधकार में डाल कर खराब कर दिया है। उन्होंने भाजपा नेताओं पर उनकी नौकरियों की रक्षा के झूठे वादों का भी आरोप लगाया। गुस्साई नर्सो ने कहा कि भाजपा नेताओं ने हमें अपनी नौकरियों की रक्षा करने का वादा किया था जो झूठे साबित हुए। हमें नौकरी से निष्कासित करने से पहले हमारे भविष्य के बारे में नहीं सोचा गया ओर हमें दर दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया गया है।

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने निष्कासित किये जाने पर सवाल उठाया, तो उन्हें जवाब दिया गया कि एसआरओ-24 के तहत भर्ती किए गए सभी नर्सिंग कर्मचारी की अवदी सम्पात हो गई है। जबकि एसआरओ -384 के तहत भर्ती किए गए नर्सिंग स्टाफ को विस्तार पर विस्तार दिया गया है और इस एसआरओ के तहत दी गई शर्तों में कोई अंतर नहीं है। वहीँ उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा सरकार जम्मू के युवाओं के भविष्य के साथ खेल रही है। बढ़ती नौकरियों के अवसर उपलब्ध कराने के बजाय उन्हे मिली नौकरियों को भी छीना जा रहा है। वहीं अन्य सरकारी कॉलेजों में कार्यरत अस्थायी लेक्चररों ने भी अस्थायी करने की मांग की है। अस्थायी लेक्चररों का कहना है कि हम लोग आठ-दस व कईं पन्द्रह वर्षों से अस्थायी तौर कर कार्यरत है हमें परमानेंट किया जाए। बेशक हमें मासिक वेतन कम दिया जाए हमें मंजूर है। हम में से कईं लोग सरकारी नौकरी की आयु सीमा पार कर चुके है। एक-एक साल के लिए बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजा जाता है। हमारे पास पिछले कई सालों से कॉलेज में बच्चों को पढ़ाने का एक्सपीरियंस है। हमारे कार्य सेवा को देख यह राज्यपाल व केंद्र सरकार से मांग है कि हमें परमानेंट किया जाए। नहीं तो हम डिग्रियां फाड़ कर अपना नुकसान कर लेंगे जिसका जिम्मेदार सरकार होगी।

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