पूड़ी-चने के लिए 5 मिनट रुकने को कहा तो भडक़ उठे गुप्ता जी, किरकिरी हुई तो लिए खिस्क

कोरोना वायरस ने हमारी रोजमर्रा की कई खुशियां छीन ली हैं। इन्हीं में एक है पूड़ी और चने के स्वाद की खुशी। हमारे शहर होशियारपुर में एक दुकान ऐसी है जिसकी पूड़ी और चने जो एक बार खाए फिर दोबारा खाये बिना रह न पाए। लेकिन कोरोना के कारण पैदा हुआ हालातों को देखते हुए सरकार द्वारा खान-पान की दुकानों पर पाबंदी लगाई गई है ताकि सोशल डिस्टैंसिंग का उलंघन न हो सके तथा लोग कोरोना से भी बचे रहें। लेकिन जिन लोगों को इस दुकान के पूड़ी चनों का स्वाद लग जाए वे इसके बिना रह नहीं सकते। लोगों और शहर के कुछेक अधिकारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए दुकानदार द्वारा शहर के तंग इलाके में अपनी दुकान को बंद करके शहर के बाहर एक खुले प्लाट में करीब दो दिन पहले पूड़ी चने बनाने शुरु किए गए। इसका पता चलते ही लोग वहां पर पूड़ी चने लेने पहुंच गए। उस दौरान दुकानदार द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य हिदायतों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा था और लोग भी अपने स्वाद एवं पापी पेट की खातिर लाइन में खड़े अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। सूत्रों की मानें तो जिस दिन पूड़ी और चने बनाए गए कई अफसरों ने भी वहां से मंगवाकर इनका स्वाद चखा।

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लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी

लेकिन उसी दौरान वहां पर एक गुप्ता साहब पहुंच गए और सभी को पछाड़ते हुए सबसे आगे पहुंच गए व दुकानदार से जल्द से जल्द पूड़ी चने पैक करने की बात कही। दुकानदार द्वारा गुप्ता साहब को 5 मिनट इंतजार करने के लिए कहना दुकानदार और पूड़ी चने का स्वाद चखने के लिए लाइन में खड़े लोगों को तब भारी पड़ा जब गुप्ता साहब भडक़ उठे और उन्होंने उसे धमकाना शुरु कर दिया। दोनों के बीच अच्छी खासी तू-तू, मैं-मैं हो गई और उन्होंने अपनी पहुंच लड़ाते हुए किसी अधिकारी को इस बाबत फोन कर डाला कि यहां पर पूड़ी चने बन रहे हैं, आकर बंद करवाओ की बात कह डाली। यह सुनते ही वहां पर खड़े शहर के कई लाले व लोग गुप्ता जी पर भडक़ उठे और उन्होंने उन्हें खूब खरी खोटी सुनाई। लोगों का कहना था कि पहले तो गुप्ता साहब पूड़ी चने लेने पहुंच गए और जब उन्हें इंतजार करने को कहा तो उन्हें कानून याद आ गया। खुद को घिरता देख गुप्ता जी ने वहां से खिस्कने में भी भलाई समझी।

यह भी पता चला है कि जिस परिवार की ये दुकान है वो भी शहर में अच्छी खासी पहचान और पहुंच रखते हैं तथा जब उन्होंने अपनी पहुंच दौड़ाई तो गुप्ता साहब को भागते हुए राह नहीं मिला और पता ही नहीं चला कि वे वहां से कब 9-2-11 हो गए। पता चला है कि सत्ताधापी पार्टी से इस परिवार के काफी निकटतम संबंध हैं तथा करीब 300 वोटों को यह परिवार प्रभावित करता है और लंबे समय से पार्टी की सेवा में है। वैसे आंखें दिखाने वाले गुप्ता साहब के बारे में लोगों ने जो शब्द कहे वो हम लिख नहीं सकते तथा इतना जरुर है कि घटिया शब्द का बार-बार प्रयोग किया जा रहा था। लोगों का कहना था कि अगर गुप्ता साहब पूड़ी चने खाने पहुंचे थे तो उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए था कि वहां पहले से कितने लोग लाइन में खड़े हैं और 5 मिनट इंतजार की बात के बाद गुप्ता जी को कानून याद आ गया, जो सरासर गलत है।

सूत्रों की मानें तो शहर में चर्चा है कि उक्त परिवार द्वारा जिले से संबंधित पंजाब के एक बड़े नेता से मिलने की तैयारी की जा रही है तथा वे उन्हें इस बात से अवगत करवाने वाले हैं कि अगर गुप्ता साहब जैसे लोग ऐसी करतूतें करेंगे तो उनका पार्टी से किनारा कर लेंगे। राजनीतिक माहिरों की मानें तो अगर यह परिवार पार्टी से टूट जाता है तो इसमें नेता जी का भी बहुत बड़ा नुकसान है।

अब देखना यह होगा कि मामला हाईकमांड के ध्यान में आने के बाद गुप्ता जी का राजनीतिक कैरीयर किस तरफ करवट लेता है। क्या नाम बता दूं…? फिर वही बात, भाई मेरा गुप्ता जी से पंगा करवाओगे क्या। वैसे भी मेरा दफ्तर किराये की इमारत में है। गुप्ता साहब समझ तो गए होंगे। मेरे पर कुछ तो रहम खाओ। जय राम जी की।

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