जालन्धर। पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्मृति मंच के पंजाब प्रधान किशन लाल शर्मा ने कहा कि सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार से परेशान आम जनता को सूचना के अधिकार के तहत केन्द्र सरकार द्वारा बहुत बड़ी ताकत प्रदान की गई थी ताकि भ्रष्टों पर निगह रखी जा सके और उन्हें सलाखों के पीछे धकेलने में मदद मिले। लेकिन दुख की बात है कि आज यह अधिकार कई लोगों के लिए भ्रष्टाचार और ब्लैकमेलिंग का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। जिनके आगे सरकारी खूफिया तंत्र भी पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है।
उन्होंने बताया कि सूचना आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उनके पास आने वाले मामलों में से करीब 20 प्रतिशत मामले ही हकीकत में जानकारी पाने के लिए होते हैं, जबकि 80 प्रतिशत से ज्यादा मामले ब्लैकमेलिंग या परेशान करने के लिए लगाए जाते हैं। यही नहीं कई लोगों द्वारा तो इस कानून को अपनी दुश्मनी निकालने और पैसे कमाने का भी नया तरीका बना लिया गया है। किशन लाल शर्मा ने कहा कि शहर में भी ऐसे कई मामले हैं जहां कालोनी काटने वाले को आर.टी.आई के माध्यम से डरा कर ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूली गई और कई बिल्डिंग मालिकों एवं दुकानदारों की आर.टी.आई डाल पहले परेशान किया गया और बाद में पैसे लेकर मामले को शांत किया गया।
भ्रष्ट अधिकारियों ने आर.टी.आई डलवा करोडों कमाने वालों के मुंह को लगाया खून, ब्लैकमेलरों के आगे सरकारी खूफिय़ा तंत्र भी साबित हो रहा नाकाम
शर्मा ने कहा देश में सूचना का अधिकार अधिनियम ने भले ही नई क्रांति पैदा कर आम जनता को सरकारी तंत्र में सूचना की ताकत मुहैया कराई हो, लेकिन इसका दुरूपयोग भी लगातार बढने लगा है। उन्होने कहा इस कानून का बेहतर इस्तेमाल करने की बजाय कई लोगों ने इसे ब्लैकमेलिंग का नया हथियार बना लिया है। उन्होंने कहा कि आरटीआई को पेशा, धंधा बना चुके ब्लैकमेलरों, दलालों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए विजीलेंस, खूफिया तंत्र पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। नहीं तो आज ऐसे लोगों की जांच कर इनको दबोचा जरूर जाता। उन्होंने कहा कि शहर से प्रदेश में विगत कुछ वर्षों से आरटीआई को धंधा बना चुके लोगों से प्रदेश की जनता तंग आ गई है, जिन पर कार्यवाही की अत्याधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में अधिकांश लोग, जोकि सूचना का अधिकार के माध्यम से सूचना मांगते हैं, उनका दूर-दूर तक जनसरोकार, जनकल्याण एवं भ्रष्टाचार मिटाने की दिशा में कोई वास्ता नहीं है।
उन्होंने कहा कई ऐसे भी धन्धेबाज हैं, जिनका कोई सामाजिक दायरा तक नहीं है तथा इनके द्वारा इस अधिकार की आड़ में उगाही का काम किया जा रहा है। जिन्हें रोकना समाज व सरकार हित में होगा। प्रदेश भर में जनता के साथ-साथ अधिकारियों, कर्मचारियों तक का शोषण इनके द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर भ्रष्ट अधिकारियों ने इनके मुॅंह खून लगा दिया है तथा ये अधिकारी अपनी पोल-पट्टी खुलने के डर से इनके आगे टुकड़ा फेंक देते हैं तथा यही आदत आम-जनमानस को परेशान करने लगती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसे ब्लैकमेलरों एवं दलालों से निपटने के लिए भी सख्त कानून लाया जाए ताकि सूचना का अधिकार कानून की सार्थकता बनी रहे व जनमानस के विश्वास भी बढ़े।
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