मनीष तिवारी ने वीडियो कांफ्रैंसिंग पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की वैश्विक सभा को किया संबोधित

गढ़शंकर (द स्टैलर न्यूज़)। श्री आनंदपुर साहिब से सांसद, पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने वीडियो कांफ्रैंसिंग पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की वैश्विक सभा को संबोधित किया, जिसमें 51 देशों के 109 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कांफ्रैंस में विशेष तौर पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरपर्सन सेम पित्रोदा, आईओसी यूएसए के प्रधान मोहिन्दर सिंह गिल्जियां, आईओसी यूएस पंजाब चैप्टर के प्रधान गुरमीत गिल, आईओसी कनाडा के प्रधान अमरप्रीत औलख और पंजाब लार्ज इंडस्ट्रियल डेवल्पमेंट बोर्ड के चेयरमैन पवन दीवान भी मौजूद रहे। इस कांफ्रैंस का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में फैले साथियों के साथ इस बात पर चर्चा करना था कि अन्य देशों की सरकारों द्वारा महामारी से कैसे निपटा जा रहा है।

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तिवारी ने आईओसी के नेतृत्व को जोर देते हुए कहा कि महामारी ने आईओसी जैसी संस्था को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मार्ग दिखाने का एक अनूठा अवसर दिया है, जब इस दौर में ग्लोबल गवर्नेंस की सभी संस्थाएं ध्वस्त हो चुकी हैं। तिवारी ने इस पतन के तीन उदाहरण दिए। विश्व समुदाय के इक_े आने और कोविड-19 की उत्पत्ति की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जांच करने में विफल रहना। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारी बोर्ड की अध्यक्षता का इस्तेमाल देशों और संगठनों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन को एक साथ रखने के लिए करेगा, ताकि चीन को अंतर्राष्ट्रीय जाचंकर्ताओं की एक गैर-पक्षपाती टीम को कोविड-19 की तह तक पहुंचने के लिए पूरी और गैर प्रतिबंधित पहुंच देने के मजबूर किया जा सके और इस बात का पता किया जा सके कि क्या कोविड-19 प्राकृतिक प्रजाति का परिणाम था या फिर लैब की उत्पत्ति।

इस क्रम में, डब्ल्यूएचओ द्वारा जनवरी-2020 में समय पर चेतावनी देने और यात्रा संबंधी सलाह जारी करने में विफल रहना और यहां तक कि वायरस को नाम देने में चीन के आगे घुटने टेकना इस पतन का एक अन्य उदाहरण था। इसी तरह, जब मार्च में यह महामारी पूरी दुनिया में फैल रही थी, युनाइटिड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) को 21वीं सदी के अब तक सबसे बड़े मानवीय संकट पर मिलने और चर्चा करने की अनुमति नहीं मिली, क्योंकि चीन ने संस्था की प्रधानगी के चक्कर को थामा था। चीन की इस चाल ने वैश्विक प्रतिक्रिया में गतिरोध पैदा किया, जब इसकी ज्यादा जरूरत थी। इसी तरह, ग्लोबल इकॉनोमिक मेल्टडाउन के बाद बनाया गया जी-20 बहुत कम उभरकर आया।
ऐसे में अब तक प्रतिक्रिया राष्ट्रीय, उप राष्ट्रीय स्तर की रही है। यदि इसका पूरी तरह से स्थानीय अर्थ निकाला जाए, तो प्रत्येक राष्ट्र की अपने लिए, प्रत्येक राज्य या प्रांत की अपने लिए और अंत में प्रत्येक गांव व कस्बे की अपने लिए प्रतिक्रिया रही है।

तिवारी ने कहा कि कोविड-19 की राख से ग्लोबल गवर्नेंस की एक नई वास्तुकला के उभरने की जरूरत है। उन्होंने आईओसी के प्रधानों से संबंधित देशों में भारतीय दूतावासों या कंसलेटों से उन व्यक्तियों की सूची हासिल करने को कहा, जो वहां फंसे हुए हैं और भारत वापिस आना चाहते हैं। क्योंकि इनकी निकासी में वक्त लगेगा, ऐसे में आईओसी को अन्य भारतीय संस्थाओं से संपर्क करके इन्हें भारत वापिस लाने के लिए जरूरी सहायता प्रदान करनी चाहिए, जिनमें से कई व्यक्ति नकदी और सप्लाई के संकट का सामना कर रहे हैं।

अंत में तिवारी ने आईओसी के इस प्रयास के लिए धन्यवाद किया। चर्चा में अन्यों के अलावा, हरबचन सिंह सैक्रेटरी जनरल आईओसी यूएसए, रवि चोपड़ा सीनियर उपाध्यक्ष आईओसी यूएसए, कमल धालीवाल प्रधान आईओसी यूके, राजिंदर डिचपल्लई महासचिव आईओसी यूएसए, सतीश शर्मा चेयरमैन आईओसी यूएसए पंजाब चैप्टर, गोरीशंकर एसआर डल्लास यूएसए, डा. सोनिया स्वीडन, सोफिया शर्मा यूएसए, राजीव मोहन यूएसए, गुरमिंदर कौर यूके, बलविंदर सिंह जर्मनी, एलीजाबेथ लॉरेंस आईओसी स्विटजरलैंड, काव्या शाह टोरंटो कनाडा, जोस अब्राहम यूएसए, जींदा शेरगिल प्रधान आईओसी यूके बर्मिंघम, बीजू कोम्बसेरिल यूएसए, हरमन गिल कनाडा, संदीप वांगला कैलीफोर्निया, सौरभ भंडारी यूके, हरि नंबूथिरी यूएसए भी शामिल रहे।

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