शत-शत नमन: चीनियों पर भारी पड़ा भारत माता का बब्बर शेर, 12 चीनियों को मारकर गुरतेज ने पाई थी शहादत, स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी वीरगाथा

होशियारपुर/मानसा (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। पिछले दिनों भारत-चीन बार्डर पर हुई हिंसक झड़प में भारत माता के सपूतों ने चीनी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और खुद शहादत पाने से पहले चीन के सैनिकों को मार गिराया। इन्हीं में से शहीद हुए पंजाब के जिला मानसा के बीरईवाला गांव के रहने वाले गुरतेज सिंह (23) जोकि ट्रेनिंग के बाद सिख रेजिमेंट में पहली बार लद्दाख में ड्यूटी पर तैनात हुए थे ने शहादत पाने से पहले अकेले ही 12 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारकर अपने देश की रक्षा की।

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बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना देखते बड़े हुए 23 वर्षीय गुरतेज सिंह 2018 में सेना में शामिल हुए थे तथा सिक्किम रेजिमेंट में शामिल होकर गुरतेज का सपना सच्च हो गया था। गुरतेज हमेशा ही सेना की सेवा करने के लिए उत्सुक दिखते थे।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि 4 चीनी सैनिकों ने गुरतेज पर हमला किया, जिसमें से वह 2 से बच निकला और 2 सैनिकों ने उसे नीचे गिराने की कोशिश की, लेकिन गुरतेज ने उन चारों सैनिकों को चट्टान की तरफ खींच लिया, इसी बीच गुरजेत अपना संतुलन खो बैठा और फिसल गया परंतु गुरजेत एक बोल्डर में फंस गया जिस वजह से वह चट्टान से नीचे गिरने से बच गया। इसी बीच गुरतेज की गर्दन और सिर पर चोटलगने के कारण वह घायल हो गया। लेकिन उसने हार न मानते हुए अपनी पगड़ी को दोबारा पहना और खुद की युद्ध में वापिसी की। सूत्रों ने बताया कि गुरतेज ने लड़ाई दौरान अधिकतर सैनिकों को मारने के लिए अपनी कृपाण का प्रयोग किया तथा बहादुरी से लड़ते हुए 11 सैनिकों को मार डाला और इसी बीच अपनी शहादत प्राप्त करते करते उन्होंने एक अन्य चीनी सैनिक को भी अपनी किरपान से मार गिराया।

शहीद गुरतेज सिंह के पार्थिव शरीर को 19 जून को घर वापिस लाया गया जहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उसे अंतिम विदाई दी गई। इस मौके पर सैनिक और राजनेताओं ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी। अंतिम विदायगी दौरान उनके गांव तथा आसपास के इलाकों के लोगों द्वारा “गुरतेज सिंह अमर रहे” और “जो बोले सो निहाल” के जयघोष लगाए गए तथा नम आंखों से उसका अंतिम संस्कार किया गया। गुरतेज के पिता विरसा सिंह का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ है लेकिन उन्होंने दुख व्यक्त किया कि उनकी इच्छा थी कि वह एक बार अपने बेटे से बात कर सकते। शहीद गुरतेज सिंह अपेन पीछे अपने पिता वीरसा सिंह, माता प्रकाश कौर तथा 2 बड़े भाईयों को छोड़ गए हैं।

पता चला है कि एक सप्ताह पहले उनके भाई की शादी थी तथा वे उस शादी में सम्मिलित होना चाहते थे, लेकिन गलवान घाटी में स्थिति तनावपूर्ण होने के चलते उन्होंने शादी में जाने का फैसला छोड़ देश सेवा के लिए वहीं रहकर स्थिति का मुकाबला करने की ठानी। आज बेशक गुरतेज सिंह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी शहादत आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है कि गुरतेज ने अपना पूरा जीवन देश सेवा में लगा दिया तथा आज के युवाओं को भी गुरतेज की शहादत से सबक लेकर गलत रास्तों एवं आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने से बेहतर देश सेवा तथा दुश्मनों से लडऩे का प्रण करना चाहिए। राजस्व मंत्री मनप्रीत बादल तथा केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए वहीं, द स्टैलर न्यूज़ परिवार की तरफ से शहीद गुरतेज व अन्य शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इन वीर सैनिकों की गाथा भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। जिसे पढक़र आने वाली पीढिय़ां और नौजवान इसी जज्बे के साथ देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

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