अगर आप दूसरों के लिए जीते हैं तो आप दीर्घायु होते हैं: उपराष्ट्रपति

The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu at an virtual event to felicitate the Panjab University for winning the Maulana Abul Kalam Azad Trophy for the year 2020, in New Delhi on September 11, 2020.

नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज व्यक्ति के समग्र विकास के लिए नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों की शिक्षा हमारी शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग होना चाहिए। उपराष्ट्रपति रामचन्द्र मिशन तथा भारत और भूटान के लिए संयुक्त राष्ट्र सूचना केन्द्र द्वारा सम्मिलित रूप से आयोजित हार्टफुलनेस अखिल भारतीय निबंध लेखन के ऑनलाइन शुभारम्भ के अवसर को संबोधित कर रहे थे जो जुलाई से नवम्बर के बीच प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित किया जाता है।

Advertisements

उपराष्ट्रपति ने इस प्रकार के कदमों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन युवाओं को सोचने के लिए प्रेरित करते हैं जिससे वे अपने जीवन को सार्थक सकारात्मक बना सकें। उन्होंने खुशी जाहिर की कि अंग्रेजी के अलावा, दस भारतीय भाषाओं में ये निबंध लिखे जा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि भविष्य में सभी भारतीय भाषाओं को शामिल किया जा सकेगा। नई शिक्षा नीति 2020 में नैतिक शिक्षा को शामिल किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा प्राचीन काल से ही हमारी शिक्षा पद्धति का अभिन्न हिस्सा रही है। उन्होंने कहा कि इस तेज़ रफ्तार सूचना युग में जहां सूचना, टेक्नोलॉजी और सूचना की भरमार है तब नैतिक शिक्षा का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है अन्यथा सूचना और टेक्नोलॉजी की बाढ व्यक्ति को दिग्भ्रमित कर सकती है। उन्होंने सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का आह्वाहन करते हुए कहा कि हमें अपनी जड़ों पर वापस लौटना चाहिए, पारंपरिक ज्ञान  और शिक्षण प्रणाली से भी सीखना चाहिए।

उन्होंने सरकार, परिवार, गुरुजनों, शिक्षण संस्थाओं, स्वयं सेवी संस्थाओं से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों के जीवन में नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर महत्व दें। यदि हम सही दिशा में बढ़े तो भारत विश्व में मूल्य आधारित शिक्षा के अनुकरणीय प्रतिमान स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं की क्षमता का उपयोग करने के लिए उन्हें शिक्षा देना जरूरी है तथा विश्वविद्यालयों को अपना शिक्षा स्तर सुधारना चाहिए जिससे भारत विश्व में शिक्षा और इनोवेशन का केन्द्र बन सके। युवाओं को भविष्य का नायक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश का भविष्य युवाओं के हाथों में होता है। इस अवसर पर शिक्षण संस्थाओं और उद्योग के बीच सामंजस्य की जरूरत बताते हुए उन्होंने शोध पर बल दिया तथा अनुसंधान के लिए सार्वजनिक और निजी संस्थानों द्वारा निवेश बढ़ाने को कहा। कोविड महामारी की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रों ने संकल्प शक्ति दिखाई है और सम्मिलित रूप से इस आपदा से उबरने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा आपदा के समय ही मनुष्य के सच्चे चरित्र की पहचान होती है, कोई भी आपदा इतनी कठिन नहीं होती जिसका समाधान सही नियत और मूल्यों के साथ सम्मिलित रूप से न किया जा सके। श्री नायडू ने कहा कि महामारी के कारण जीवन में तनाव और चिंता पैदा हुई है जिसका निदान परिवार के साथ रह कर, ध्यान द्वारा किया जा सकता है। शेयर एंड केयर को भारतीय जीवन दर्शन का मूल बताते हुए उन्होंने कहा कि संवेदना, करुणा, बुजुर्गों का सम्मान, धाार्मिक सद्भाव जैसे गुण युवाओं में डाले जाने जरूरी हैं। उन्होंने महामारी की इस अवधि में जरूरतमंदों को सहायता और सांत्वना देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यदि आप दूसरों के लिए जीते हैं तो आप दीर्घायु होते हैं। उन्होंने लोगों से बिना ढील दिए कोविड के खिलाफ पूरी सावधानी बरतने को कहा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here