आदमवाल रोड अनाधिकृत कालोनी के खिलाफ कार्यवाही को लेकर कमिशनर नगर निगम ने एसएसपी को लिखा पत्र

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। धोबीघाट से आदमवाल मार्ग नजदीक चो बांध पर अवतार सिंह पुत्र शाम सिंह निवासी बरियाणा की तरफ से अनाधिकृत तौर पर काटी जा रही कालोनी के संबंध में कमिशनर नगर निगम ने कड़ा संज्ञान लेते हुए इस संबंधी कार्यवाही हेतु एसएसपी को पत्र लिखा है। इस संबंधी प्राप्त जानकारी अनुसार पत्र में कमिशनर नगर निगम ने कहा है कि इस संबंधी कलोनाइ ऱ को नोटिस जारी किए गए थे तथा निजी तौर पर सुनवाई का मौका दिया गया था। सुनवाई दौरान उक्त व्यक्ति की तरफ से पेश हुए व्यक्ति को संबंधित जगह पर अनाधिकृत कालोनी विकसित न करने के लिए कहा गया था। परन्तु उक्त जगह पर संबंधित व्यक्ति द्वारा बार-बार रोकने के बावजूद मौके पर कालोनी काटने संबंधी कार्यवाही बंद नहीं की जा रही है तथा देर-सवेर वहां पर काम किया जा रहा है जोकि पापरा एक्ट-1995 की उलंघना है।

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इसलिए संबंधित थाना अधिकारी को उक्त स्थान पर काम बंद करवाने तथा अगर वे काम बंद नहीं करता तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने संबंधी हिदायतें की जाएं। निगम कमिशनर द्वारा 11 सितंबर को पत्र जारी करके एसएसपी को इस संबंधी कार्यवाही की अपील की गई है। अब देखना यह होगा कि अनाधिकृत तौर पर विकसित की जा रही इस कालोनी को लेकर पुलिस क्या रुख अपनाती है। क्योंकि, इस कालोनी को लेकर पिछले लंबे समय से चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है और निगम कमिशनर के पत्र से ही साफ हो जाता है कि कालोनी काटने वाले किस कद्र कानून को धत्ता बताकर अनाधिकृत तरीके से काम को जारी रखे हुए हैं कि कमिशनर को एसएसपी से मदद हेतु कार्यवाही के लिए पत्र लिखना पड़ा।

हाल ही में मुकेरियां इलाके में अनाधिकृत तौर से की जा रही माइनिंग के मुद्दे को उठाने वाले आम आदमी पार्टी के नेता सुलखन सिंह जग्गी पर हुए हमले की घटना ने यह बात साबित कर दी है कि अवैध धंधों से जुड़े ऐसे लोगों के तार कितने मजबूत हैं और इन्हें कानून का भी डर नहीं रहा। अगर, इन्हें कानून का डर होता तो शायद आज जग्गी सीएमसी में जिंदगी और मौत की जंग न लड़ रहा होता। उक्त कालोनी की बात करें तो इस कालोनी का मामला उठाने वाले एक शख्स के साथ क्या हुआ यह सभी जानते हैं तथा आज वे खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए माननीय अदालत पर विश्वास बनाए हुए हैं और लड़ाई लड़ रहे हैं।

माहिरों की माने तो उसका तरीका गल्त हो सकता था, मगर उसका उद्देश्य गलत काम को रोकना था। जो अवैध तौर से काम करने वालों को गवारा न हुआ और उन्होंने एक सोची समझी साजिश के तहत सारे मामले को कुछ ऐसा घुमाया कि पर्यावरण और अवैध माइनिंग से धरती मां के छननी हो रहे सीने को बचाने की सोच रखने वाला शख्स आज घर से बेघर होकर अपनी लड़ाई ऐसे लड़ रहा है जैसे सियारों के बीच घिरा हिरण खुद को बचाने के लिए जंग लड़ता है। खैर, जो लोग कानून और अदालत पर विश्वास रखते हैं उन्हें एक दिन जीत जरुर मिलती है तथा बुरे काम का बुरा नतीजा वाली कहावत भी किसी से छिपी नहीं है। नगर निगम कमिशनर के पत्र के बाद अवैध कालोनियों के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों और पर्यावरण प्रेमियों की आंखों में नई चमक जरुर देखी जा रही है कि अब इंसाफ जरुर होगा।

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