मुख्यमंत्री द्वारा बासमती के लिए मंडी और ग्रामीण विकास फीस घटाने की घोषणा

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़) । नए कृषि बिलों की व्यवस्थाओं के मद्देनजऱ पंजाब और बाहर के बासमती व्यापारियों और मिल्लरों को समान अवसर प्रदान करने के लिए रास्ता साफ करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज मंडी विकास फीस (एम.डी.एफ.) और ग्रामीण विकास फीस (आर.डी.एफ.) की दरें 2 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने का ऐलान किया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह कदम जहाँ अंतरराष्ट्रीय मार्केट में पंजाब की बासमती को मुकाबले में रखने के लिए सहायक होगा, वहीं बासमती व्यापारियों/मिल्लरों को 100 करोड़ की राहत भी मुहैया करवाएगा। हालाँकि, यह बदलाव इस शर्त पर है कि राज्य से बासमती धान की फ़सल/चावल अन्य मुल्कों में निर्यात करने के लिए किसी भी धान /चावल डीलर /मिल मालिक /व्यापारी को किसी फीस की वापसी की इजाज़त नहीं दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने यह ऐलान पंजाब मंडी बोर्ड के प्रस्ताव पर गौर करते हुए किया। मंडी बोर्ड ने यह प्रस्ताव पंजाब राईस मिलर्स एंड ऐक्सपोर्टर्स एसोसिएशन और पंजाब बासमती राईस मिलर्स एंड ऐक्सपोर्टर्स एसोसिएशन से प्राप्त हुए आवेदनों की विस्तार में जाँच पड़ताल करने के बाद तैयार किया।
पंजाब राईस मिलर्स एंड ऐक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा कि कृषि ऑर्डीनैंस लागू हो रहे हैं और बासमती का उत्पादन करने वाले राज्यों के दरमियान फीस और अन्य दरों में लगभग 4 प्रतिशत का अंतर पैदा हो जायेगा। पंजाब में चावल उद्योग के लिए आर्थिक तौर पर यह व्यावहारिक नहीं है क्योंकि वह हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में चावल निर्यातकों के साथ मुकाबला नहीं कर सकेंगे जिनको कृषि उत्पाद पर मंडी फीस से पूरी तरह मुक्त किया हुआ है। एसोसिएशन ने यह भी अपील की कि पंजाब से सम्बन्धित निर्यातक टैक्सों की अतिरिक्त लागत को पूरा नहीं कर सकेंगे जो 4 प्रतिशत से अधिक है जिस कारण यह उनको कारोबार में बने रहना बहुत मुश्किल बनाता है। यह रुझान उनको हरियाणा, यू.पी. और दिल्ली में दूसरे व्यापारियों के साथ मुकाबले में बने रहने के लिए दूसरे राज्यों से धान की फ़सल खरीदने के लिए मजबूर करेगा। पंजाब मंडी बोर्ड के बेहतरीन मंडी बुनियादी ढांचे का जि़क्र करते हुए एसोसिएशन ने राज्य सरकार से अपील की कि पंजाब के चावल उद्योग का दूसरे राज्यों के साथ मुकाबला बनाए रखने के लिए पहली खरीद पर बाकी सभी दरें जो इस समय वसूली जा रही हैं, की बजाय 0.35 प्रतिशत से एक प्रतिशत उपयोग लागत/मंडी फीस को लागू किया जाये। 

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