आरटीपीएस काउंटर: जनता हो रही परेशान, बिचौलियों की हो रही बल्ले-बल्ले

बछवाड़ा, बेगूसराय (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट): राकेश कुमार। आरटीपीएस काउंटर खोलते समय किए गए सरकारी वायदे व इसके कर्मियों के इरादे के बीच काफी अंतर मालूम पड़ता दिख रहा है। लोक सेवाओं से जुड़े महत्वपूर्ण सेवाओं के सुलभ आवेदन एवं निष्पादन के उद्देश्य से सरकार नें प्रखंड मुख्यालयों एवं सुदूर देहाती क्षेत्र के पंचायत सरकार भवनों पर आरटीपीएस काउंटर खोला गया था। मगर अब यही आरटीपीएस आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। बताते चलें कि इन आरटीपीएस सुबह दस बजे से दोपहर तीन बजे तक आवेदकों की भीड़ देख वहां से गुजरने वाले लोगों को ऐसा मालूम पड़ता है कि प्रखंड कार्यालय आने वाले जरूरतमंदों का कार्य निष्पादन दुर्गति से हो रहा है, तभी तो इतने सारे लोगों की जुटती है। मगर जब इन जरूरतमंदों से पूछा गया तो हकीकत कुछ और ही सामने आया।

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काउंटर पर लाइन में खड़े रानी तीन पंचायत निवासी अभिषेक कुमार शिवम कुमार, अविनाश कुमार, केशव कुमार व नवादा गांव निवासी दीपक कुमार आदि ने बताया कि यहां विभिन्न जाति, आवासीय व आम प्रमाण पत्र के लिए किए गए आवेदनों को बिचौलियों के माध्यम से जमा कराने पर एक से दो दिनों में कार्य का निष्पादन हो रहा है। जबकि सीधे आवेदकों द्वारा किए गए आवेदन पर आरटीपीएस कर्मी नियमों का हवाला देकर बीस दिन बाद आने को कहा जाता है। समय सीमा पार करने पर लिंक फेल , बेव प्रॉब्लेम, तकनीकी खराबी आदि मजबूत बहाना बनाकर आवेदकों को टहलाया जाता है। आवेदकों नें बताया कि लगान रशीद, एलपीसी, एवं दाखिल खारीज के कार्यो का निष्पादन विगत कई माह से ठप है । आवेदकों द्वारा पुछे जाने पर आरटीपीएस कर्मी का जवाब होता है कि अंचल द्वारा कागजातों की जांच कराइ जा रही है।

रिपोर्टर आने के बाद हीं सेवा प्रदान किया जाएगा। आवेदकों ने बताया कि बिचौलियों व कर्मियों को नजराना दिए जाने के बाद सारे बाधित कार्यों का निष्पादन आसानी से हो जाता है। चढ़ावा नहीं देने वाले आवेदकों के लिए नियम-कानून का हवाला और देने वालों के लिए सारे नियम आखिर ताक पर रख कर भी कार्य का निष्पादन किया जाना सरकार के कार्य शैली को बदनाम करने जैसा प्रतीत होता है। आरटीपीएस कर्मियों के इस रवैए से आवेदकों में काफी रोष व्याप्त है।

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