पराली व फसल के अवशेषों को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य, वातावरण के लिए हानिकारक: जिलाधीश

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जिलाधीश अपनीत रियात ने कहा कि पराली व फसल के अवशेषों को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य, वातावरण के साथ-साथ मित्र कीड़ों के लिए भी बहुत नुक्सानदेह है, जिसको रोकना हम सभी की सांझी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की ओर से इस संबंधी जिले के अलग-अलग ब्लाकों में किसानों को जागरुक भी किया जा रहा है। जिलाधीश ने कहा कि कोविड महांमारी के मद्देनजर पराली जलाने की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन की ओर से पहले ही गांवों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो कि ऐसे मामलों की रोकथाम में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने बताया कि इन अधिकारियों को यह यकीनी बनाने के लिए कहा गया है कि गांवों में सिर्फ सुपर एस.एम.एस सिस्टम वाली कंबाइनों को ही चलने दिया जाए।

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इसी कड़ी में किसानों को जागरुक करने के लिए किसान भलाई विभाग की ओर से तहसील गढ़शंकर के गांव डघाम में बेलर का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर ब्लाक कृषि अधिकारी डा. सुभाष चंद्र के साथ इंजीनियर लवली ने गांव के किसानों के खेतों में बेलर चला कर पराली से गांठे बनाने वाली मशीन के बारे में बताते हुए कहा कि यह मशीन धान की कटाई के बाद पराली को रेक के साथ इक_ी कर चलाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि गांठों को पावर प्लांट के प्रयोग में लाया जा सकता है या किसी गत्ता फैक्ट्री में इसकी खपत हो सकती है। उन्होंने बताया कि इससे पराली को आग लगाने के रुझान पर नकेल कसी जा सकती है, जिससे वातावरण में जहरीली गैसे, धुएं आदि से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। उन्होंने गुरुओं की दी शिक्षाओं को अपनाकर अपने प्राकृतिक स्रोत आग, पानी व हवा की संभाल कर मनुष्य व वातावरण हितैषी सोच अपनाने को कहा। इस मौके पर बहादुर सिंह, कुलविंदर साहनी, बलराज कुमार, मोहित कुमार के अलावा और किसान भी मौजूद थे।

 

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