चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के खेल, युवा सेवाएं एवं प्रवासी भारतीय मामलों संबंधी मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी ने आज राज्य के किसानों से अपील की कि वह फसलों के अवशेष को आग न लगाएं क्योंकि इसका वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है और साथ ही यह रुझान सडक़ हादसों का कारण बनता है। यहाँ जारी प्रैस बयान में राणा सोढी ने कहा कि फसलों के अवशेष और पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद मित्र कीड़े और कवक मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से न सिर्फ़ वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, बल्कि धरती की उपजाऊ शक्ति भी कम हो जाती है।
इसके अलावा फ़सली अवशेष को आग लगाना सडक़ हादसों का बड़ा कारण बन रहा है, क्योंकि धुएं के कारण वाहन चालकों को साफ़ नजऱ नहीं आता। पराली को आग लगाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने कहा कि वातावरण प्रदूषण को रोकने के लिए पराली जलाने के रुझान से निपटना समय की मुख्य ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषित हुई हवा कोरोना महामारी के दौरान अन्य बीमारियों से पीडि़त मरीज़ों के लिए और ज्य़ादा जोखि़म पैदा कर रही है। कम्बाईन चालकों और किसानों को पराली प्रबंधन के अत्याधुनिक तरीके अपनाने की अपील करते हुए खेल मंत्री ने कहा कि कम्बाईन से जुड़ा सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (सुपर एस.एम.एस.) पराली को बारीक टुकड़ों में काट देता है, जिससे बिजाई वाली मशीनों के लिए खेतों में काम करना आसान हो जाता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने के रुझान को ख़त्म करने के लिए सुपर एस.एम.एस. तकनीक ही एकमात्र कारगर विधि है, क्योंकि इसके साथ किए गए पराली के बारीक टुकड़े खेत में आसानी से मिल जाते हैं और अन्य फसलों की सीधी बिजाई आसानी से की जा सकती है।
राणा सोढी ने कहा कि किसानों में नयी तकनीकों को और उत्साहित करने के साथ-साथ फ़सलीय अवशेष के खेतों में और खेतों से बाहर प्रबंधन संबंधी जागरूकता पैदा की जा रही है, जिससे पराली को जैविक खाद में बदला जा सके। मंत्री ने आगे कहा कि वातावरण बचाना पंजाबियों की रिवायत रही है और अगर प्रकृति को हद से ज्य़ादा प्रदूषित किया गया तो हम ख़ुद भी प्रकृति के कहर का शिकार होंगे।