मुख्यमंत्री ने नड्डा को लिखा पत्र, माल गाडिय़ों की यातायात के पेचीदा मसले को सुलझाने का आह्वान

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। किसानों द्वारा रेल रोको आंदोलन में ढील दिए जाने के बावजूद रेलवे द्वारा माल गाड़ीयों की यातायात निलंबित रखने पर चिंता ज़ाहिर करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को खुला पत्र लिखकर इस पेचीदा मसले को सामूहिक इच्छा और सूझ-बूझ के साथ सुलझाने का न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि यदि इस मसले को न सुलझाया गया तो न सिफऱ् पंजाब के लिए बल्कि लद्दाख़ और कश्मीर में तैनात सशस्त्र बलों सहित समूचे मुल्क के लिए ख़तरनाक निष्कर्ष निकल सकते हैं। किसानों के प्रदर्शनों ख़ास तौर पर रेलवे की तरफ से माल गाड़ीयों की यातायात निलंबित करने पर भाजपा के राष्ट्रीय और पंजाब के नेताओं द्वारा हाल ही में दिए गए बयान और टिप्पणियों पर दुख और पीड़ा ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि यह समय न तो राजनैतिक टकराव में पडऩे का है और न ही आरोप-प्रत्यारोप करने का है। उन्होंने कहा कि इस नाजुक समय में हम सभी को अपने राजनैतिक हितों को आगे बढ़ाने की बजाय ऐसी किसी भी लालसा को एक तरफ़ कर देना चाहिए।

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विभिन्न भाजपा नेताओं की ताज़ा टिप्पणियों पर दुख ज़ाहिर, किसानों को ‘नक्सली ’ बोले जाने का किया जि़क्र

उन्होंने कहा कि यह समय अपने राजनैतिक भिन्नताओं से ऊपर उठने का है और मौजूदा स्थिति के प्रति सूझ और बुद्धिमत्ता के साथ निपटने का है क्योंकि यदि तुरंत कदम न उठाए गए तो निश्चित तौर पर हालात काबू से बाहर होने का ख़तरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने माल गाड़ीयों की सेवाएं लगातार निलंबित रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर पडऩे वाले प्रभाव का जि़क्र करते हुए कहा कि न सिफऱ् पंजाब को बल्कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख़ को बड़ी कमी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि ठंड शुरू होने से सशस्त्र सेनाओं पर बहुत बुरा प्रभाव पडऩे की संभावना है क्योंकि लद्दाख़ और वादी की ओर जाते मार्गों पर बर्फबारी होने से सप्लाई और अन्य वस्तुओं की कमी पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि इन खतरोंं को न तो केंद्र सरकार और न ही भाजपा समेत कोई राजनैतिक पार्टी अनदेखा कर सकती है। देश के हित में इस पेचीदा मसले को सुलझाने के लिए साझे लक्ष्य के साथ हमें आपसी तालमेल करना चाहिए। रेल यातायात के लम्बे समय तक बंद रहने से पंजाब को पड़े घाटे का हवाला देते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि माल गाड़ीयों की सेवाएं प्रतिदिन निलंबित रहने का मतलब राज्य में बिजली (कोयला), यूरिया और डी.ए.पी. के स्टॉक की कमी के मद्देनजऱ उद्योग, कृषि और समूची अर्थव्यवस्था को बड़ा नुक्सान होता है।

चीन और पाकिस्तान के आक्रामक रूख के मद्देनजऱ ज़रूरी वस्तुओं की कमी से न सिफऱ् पंजाब बल्कि लद्दाख़ और कश्मीर में तैनात सैनिकों के भी प्रभावित होने संबंधी किया सावधान

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के आक्रामक रूख के बीच सशस्त्र बलों का ज़रूरी वस्तुओं की सप्लाई से वंचित रहना देश के लिए और ज्यादा ख़तरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यहाँ तक कि यदि किसानों पर मंडरा रहे मौजूदा संकट का जल्द ही हल न किया गया तो सुरक्षा के लिहाज़ से पंजाब को पाकिस्तान से काफ़ी ख़तरा हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आईएसआई समर्थित आतंकवादी समूह हमेशा ही पंजाब में गड़बड़ी पैदा करने की ताक में रहते हैं। मुख्यमंत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुघ और पंजाब भाजपा के प्रधान अश्वनी शर्मा के बयानों का सख़्त नोटिस लेते हुए मौजूदा संकट की स्थिति में विभिन्न भाजपा नेताओं/सदस्यों की तरफ से हाल ही में की गई टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

उन्होंने कहा कि इन नेताओं द्वारा मेरी सरकार के ‘नक्सलवादी ताकतों’ के साथ मिलीभगत होने के झूठे और बेबुनियाद दोष लगाना इनमें परिपक्वता की और मौजूदा स्थिति को समझने की कमी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि किसानों के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में योगदान को देखते हुए ‘नक्सलियों’ के साथ उनकी तुलना करना बेहद निंदनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा देश हमारे किसानों को अन्नदाता के तौर पर जानता है और उनके आंदोलन की नक्सलवाद के साथ तुलना करके भाजपा के इन नेताओं ने देश के अन्नदाता का अपमान किया है और हर उस भारतीय का अपमान किया है जिसका किसान पेट पालते हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राज्य को चलाने के उनकी सरकार के नैतिक अधिकार पर सवाल उठाने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा पंजाब हाई कोर्ट की कुछ टिप्पणीयों के प्रयोग का गंभीर नोटिस लिया है। अदालत ने सिफऱ् एक रिपोर्ट माँगी थी और राज्य सरकार द्वारा किसानों की नाकाबंदी के मामले को सुलझाने के लिए कदम उठाए जाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के साथ राजनैतिक मनोरथ को जोडऩा अदालत के अपमान से कम नहीं है। मुख्यमंत्री ने बताया कि यहाँ तक कि हाई कोर्ट ने भी कहा है कि यह केंद्र सरकार की सामूहिक जि़म्मेदारी बनती है कि वह किसानों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के ज़रिये किसी नतीजे पर पहुँचे जोकि समय की ज़रूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि समस्या की जड़ यह है कि पंजाब में माल गाड़ीयों की यातायात पर बनी उलझन संबंधी कोई हल ढूँढने की जगह भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इसे अपने राजनैतिक हितों की पूर्ति के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने किसानों द्वारा रेल लाईनों पर धरनों में ढील दिए जाने के बावजूद माल गाड़ीयों की यातायात की इजाज़त न देने के रेलवे द्वारा रेल संचालन की सुरक्षा और अनिश्चितता के दिए हवाले पर हैरानी ज़ाहिर की। उन्होंने रेलवे के फ़ैसले को केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों में विश्वास की कमी का मामला बताया जबकि किसानों ने वास्तव में राष्ट्र को नुक्सान पहुँचाने के लिए कभी भी कुछ नहीं किया। 1966 में हरित क्रांति की शुरूआत के बाद किसान हमारे देश के मुक्तिदाताओं से कम नहीं थे जिन्होंने हमें अमरीका के साथ अपने पी.एल. 480 समझौते के चंगुल से बाहर निकाल लिया।

इस कोविड महामारी द्वारा भी किसान ऐसी ही भूमिका निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को नाकाबंदी के मसले के हल के लिए नेतृत्व करने की अपील की जो किसानों की चिंताओं को हल करने के तरीके ढूँढने और विवादास्पद कृषि कानूनों के कारण पैदा हुए टकराव का स्थायी हल ढूँढने का पहला कदम साबित हो सकता है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि श्री नड्डा केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के नेता के तौर पर इस मामले में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने भाजपा को लिखे अपने खुले पत्र में लिखा, ‘‘आओ हम मिलकर ऐसा हल ढूँढें जो हमारी आर्थिकता की जीवनरेखा को बर्बाद न करे बल्कि मौजूदा हालातों से प्रभावित हो रहे हर वर्ग को लाभ पहुँचे।’’

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